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    'मस्जिद के अंदर जय श्री राम का नारा लगाना अपराध कैसे', याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल

    By Agency Edited By: Sachin Pandey
    Updated: Mon, 16 Dec 2024 03:49 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जय श्री राम का नारा लगाना अपराध कैसे है। कोर्ट ने कहा कि यह समझ से परे है कि अगर कोई जय श्रीराम का नारा लगाता है तो इससे किसी वर्ग की धार्मिक भावना कैसे आहत होगी। मामला कर्नाटक से जुड़ा है जहां दो लोगों पर मस्जिद में घुसकर धार्मिक नारा लगाने का आरोप था।

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    सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि खास धार्मिक नारा लगाना अपराध कैसे है। (File Image)

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से पूछा कि 'जय श्री राम' का नारा लगाना कैसे अपराध है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें मस्जिद के अंदर कथित तौर पर 'जय श्री राम' का नारा लगाने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ कार्यवाही रद्द करने का आदेश दिया गया था।

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    शिकायतकर्ता हैदर अली सी एम द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पंकज मिथल और संदीप मेहता की पीठ ने पूछा, 'वे एक खास धार्मिक नारा या नाम चिल्ला रहे थे। यह कैसे अपराध है?' शीर्ष अदालत ने शिकायतकर्ता से यह भी पूछा कि कथित तौर पर मस्जिद के अंदर नारा लगाने वाले लोगों की पहचान कैसे की गई।

    हाई कोर्ट ने रद्द की थी कार्यवाही

    याचिका में 13 सितंबर के कर्नाटक हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसने मामले में दो लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत से पूछा, 'आप इन प्रतिवादियों की पहचान कैसे करते हैं? आप कहते हैं कि वे सभी सीसीटीवी कैमरे में कैप्चर किए गए हैं।'

    कोर्ट में आगे पूछा कि अंदर आए लोगों की पहचान किसने की? वकील ने कहा कि मामले में जांच अधूरी होने के बावजूद हाई कोर्ट ने कार्यवाही रद्द कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पाया कि आरोप आईपीसी की धारा 503 या धारा 447 के तत्वों को नहीं छूते। जबकि आईपीसी की धारा 503 आपराधिक धमकी से संबंधित है, धारा 447 आपराधिक अतिचार के लिए दंड से संबंधित है।

    जनवरी में होगी अगली सुनवाई

    जब पीठ ने पूछा, 'क्या आप मस्जिद में प्रवेश करने वाले वास्तविक व्यक्तियों की पहचान कर पाए हैं?' कामत ने कहा कि राज्य पुलिस को इसका स्पष्टीकरण देना होगा। पीठ ने याचिकाकर्ता से राज्य को याचिका की एक प्रति देने को कहा और मामले को जनवरी 2025 में सूचीबद्ध किया। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, 'यह समझ से परे है कि अगर कोई जय श्रीराम चिल्लाता है तो इससे किसी वर्ग की धार्मिक भावना कैसे आहत होगी।'

    इससे पहले, इस तथ्य पर गौर करते हुए कि कथित घटना से सार्वजनिक उपद्रव या किसी तरह की दरार पैदा होने का कोई आरोप नहीं है, हाईकोर्ट ने कहा, 'शिकायतकर्ता ने यह भी नहीं देखा है कि वह व्यक्ति कौन है, जिस पर आईपीसी की धारा 506 के तहत आपराधिक धमकी का अपराध करने का आरोप है।' हाईकोर्ट ने यह आदेश दो व्यक्तियों द्वारा दायर याचिका पर पारित किया, जिन पर मस्जिद में घुसकर धार्मिक नारे लगाने का आरोप था।