सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी के मुआवजे पर पूछा केंद्र का रुख, साल 2010 में दायर हुई थी याचिका
दो और तीन दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि को यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस रिसने के बाद 3000 से अधिक लोग मारे गए थे और 1.02 लाख से अधिक प्रभावित हुए थे। जिन लोगों की जान बची वे जहरीली गैस के कारण बीमारियों का शिकार हो गए।

नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से भोपाल गैस त्रासदी से संबंधित एक याचिका पर रुख स्पष्ट करने के लिए कहा। न्यायालय ने सरकार से पूछा कि क्या वह पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए अमेरिका स्थित यूनियन कार्बाइड कारपोरेशन (यूसीसी) की उत्तराधिकारी कंपनियों से 7,844 करोड़ रुपये की मांग करने वाली अपनी याचिका पर आगे बढ़ना चाहती है?
जस्टिस एसके कौल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सालिसिटर जनरल तुषार मेहता को निर्देश लेने के लिए कहा। मामले की सुनवाई अब 11 अक्टूबर को होगी। पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, एएस ओका, विक्रम नाथ और जेके महेश्वरी भी शामिल थे। पीड़ितों की ओर से पेश करणा नंदी ने कहा कि अदालत को सरकार के फैसले से इतर प्रभावित पक्षों को सुनना चाहिए। पीड़ितों के वकील संजय पारिख ने कहा कि प्रभावित लोगों की संख्या पांच गुना बढ़ गई है। सुनवाई शुरू होनी चाहिए।
तीन हजार लोगों की हुई थी मौत, एक लाख प्रभावित
दो और तीन दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि को यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली 'मिथाइल आइसोसाइनेट' गैस रिसने के बाद 3,000 से अधिक लोग मारे गए थे और 1.02 लाख से अधिक प्रभावित हुए थे। जिन लोगों की जान बची, वे जहरीली गैस के कारण बीमारियों का शिकार हो गए। वे पर्याप्त मुआवजे और उचित चिकित्सा व्यवस्था के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। केंद्र ने मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
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