Move to Jagran APP

तीन साल बाद सामने आई माल्‍या की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, रज‍िस्‍ट्री से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री से पूछा है कि माल्या को अवमानना का दोषी ठहराए जाने के 2017 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए उसकी याचिका तीन साल तक सूचीबद्ध क्यों नहीं की गई।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 08:22 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jun 2020 05:19 AM (IST)
तीन साल बाद सामने आई माल्‍या की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, रज‍िस्‍ट्री से मांगा जवाब
तीन साल बाद सामने आई माल्‍या की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, रज‍िस्‍ट्री से मांगा जवाब

नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्‍या की याचिका को तीन साल बाद लिस्‍ट किए जाने को लेकर राजिस्‍ट्री को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपनी रजिस्ट्री को यह स्पष्‍ट करने को कहा कि विजय माल्या को अवमानना का दोषी ठहराए जाने के साल 2017 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए उसकी याचिका तीन साल तक सूचीबद्ध क्यों नहीं की गई। शीर्ष अदालत ने रजिस्‍ट्री से पूछा है कि वह बताए कि अब तक यह याचिका उसके सामने क्‍यों नहीं लाई गई। यही नहीं अदालत ने उन अधिकारियों के नाम बताने के निर्देश दिए हैं इस याचिका के सूचिबद्ध करने से जुड़े रहे हैं। 

loksabha election banner

अधिकारियों का बताएं नाम 

शीर्ष अदालत ने इस वाकए पर रजिस्‍ट्रीय से दो हफ्ते के भीतर जवाब देने के निर्देश जारी किए हैं। जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने 16 जून को माल्या की पुनर्विचार याचिका पर गौर किया। अदालत ने रजिस्ट्री को तीन साल तक इस पुनर्विचार याचिका से जुड़ी फाइल को देखने वाले अधिकारियों के नाम विवरण सहित पेश करने निर्देश दिए। पीठ ने अपने आदेश के अंत‍िम लाइन में कहा है कि अदालत इस याचिका पर गुण-दोष के आधार पर विचार करेगी। सुप्रीम कोर्ट का उक्‍त आदेश 16 जून को अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। 

अवमानना का दोषी ठहराया था 

बता दें कि उच्‍चतम न्यायालय ने चार करोड़ अमेरिकी डॉलर की रकम माल्या के बच्चों के खातों में स्थानांतरित किए जाने के मामले में शराब कारोबारी को अवमानना का दोषी ठहराया था। माल्‍या की ओर से दाखिल यह समीक्षा याचिका 9 मई 2017 को शीर्ष अदालत के उस आदेश के खिलाफ थी जिसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के नेतृत्व में एक कंसोर्टियम द्वारा दाखिल याचिका पर भगोड़े शराब कारोबारी को अवमानना के लिए दोषी ठहराया गया था। आदेश में कहा गया था कि माल्‍या ने अदालत के आदेशों की अवहेलना की है। 

तीन साल तक सूचीबद्ध नहीं  की गई याचिका 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि माल्‍या की ओर से यह समीक्षा याचिका समय सीमा के भीतर दाखिल की गई थी लेकिन इसको तीन साल तक सूचीबद्ध नहीं किया गया। गौर करने वाली बात यह है कि इस याचिका को उस दिन सूचिबद्ध किया गया जब शीर्ष अदालत की एक दूसरी पीठ ने रजिस्ट्री पर मामले की लिस्टिंग में भेदभाव के आरोप लगाने को लेकर एक वकील को कड़ी फटकार लगाई। शीर्ष अदालत का यह रुख ऐसे वक्‍त में सामने आया है जब सरकार ब्रिटेन से माल्‍या के प्रत्‍यपर्ण की कोशिशों में जुटी है। 

प्रत्‍यर्पण की कोशिश में सरकार 

भारत को प्रत्यर्पण किए जाने के खिलाफ माल्‍या ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट में अपनी अपील हार चुका है। यही नहीं बीते अप्रैल में ब्रिटिश हाई कोर्ट से भी उसे मायूसी मिली थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव की मानें तो भारत माल्या के जल्द प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटेन के साथ संपर्क बनाए हुए है। बीते दिनों भारत ने ब्रिटेन से कहा था कि वह विजय माल्या (Vijay Mallya) की ओर से शरण के किसी भी याचिका पर विचार नहीं करे क्योंकि भारत में उसके उत्पीड़न का कोई आधार नहीं है।  

साल 2016 में हो गया था फरार 

माल्या ने बंद हो चुकी अपनी एयरलाइंस कंपनी किंगफिशर के लिए बैंकों से नौ हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। साल 2016 में वह भारत से फरार हो गया था। माल्या पर आरोप है कि उसने जानबूझकर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाया। बता दें कि भारत और ब्रिटेन के बीच 1992 में प्र‌र्त्यपण संधि हुई थी जो नवंबर 1993 में प्रभावी हुई थी। इसके तहत अब तक दो बड़े प्रत्यर्पण हुए हैं। साल 2016 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में संलिप्तता के संबंध में समीरभाई विनुभाई पटेल और इसी साल फरवरी में क्रिकेट सट्टेबाज संजीव चावला को भारत लाया गया था। अब माल्‍या के प्रत्‍यर्पण की तैयारी है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.