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    दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों पर 'सुप्रीम' राहत, अदालत ने दी निर्माण की मंजूरी

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 08:38 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों के निर्माण का प्रमाणपत्र रखने वाले निर्माताओं को कम प्रदूषण करने वाले ग्रीन पटाखों के निर्माण की सशर्त अनुमति दी है। कोर्ट ने कहा कि इन पटाखों की बिक्री दिल्ली-एनसीआर में नहीं होगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार से सभी हितधारकों के साथ परामर्श करने के बाद संतुलित समाधान निकालने को कहा है।

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    दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखे के निर्माण को सु्प्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी (फाइल)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों के निमार्ण का प्रमाणपत्र रखने वाले निर्माताओं को कम प्रदूषण करने वाले ग्रीन पटाखों (हरित पटाखों) के निर्माण की सशर्त अनुमति दे दी है। कोर्ट ने शर्त लगाई है कि इन पटाखों की बिक्री दिल्ली-एनससीआर में नहीं की जाएगी जहां पटाखों पर प्रतिबंध है।

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    कोर्ट ने यह आदेश इस बात पर गौर करते हुए पारित किया कि इस मामले में संतुलन बनाए रखने की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह सभी हितधारकों के साथ परामर्श करने के बाद ऐसे मामलों में संतुलित समाधान निकाले। ये आदेश प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई, विनोद चंद्रन और एनवी अंजारिया की पीठ ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के मामले में सुनवाई के दौरान शुक्रवार को दिए।

    पटाखों के निर्माण पर लगे पूर्ण प्रतिबंध पर नये सिरे से विचार करें- कोर्ट

    कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह दिल्ली-एनसीआर में पटाखों के निर्माण पर लगे पूर्ण प्रतिबंध पर नये सिरे से विचार करे। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह किसी भी अंतिम निर्णय पर पहुंचने से पहले सभी हितधारकों, जिसमें दिल्ली सरकार और पटाखा निर्माता भी शामिल हों, के साथ परामर्श करे। प्रदूषण रोकना जरूरी था लेकिन पूर्ण प्रतिबंध लगाना व्यावहारिक नहीं था।

    कोर्ट ने उदाहरण दिया कि बिहार में खनन पर प्रतिबंध था पर इससे अवैध खनन माफियाओं को बढ़ावा मिला। इसलिए एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। बेहतर हो कि केंद्र सरकार सभी हितधारकों के साथ परामर्श करके जिसमें दिल्ली सरकार, पटाखा निर्माता और पटाखा विक्रेता भी शामिल हों, एक समाधान निकाले।

    जिनके पास लाइसेंस वो बना सकेंगे ग्रीन पटाखे- कोर्ट

    कोर्ट ने कहा कि अनुभव बताता है कि पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद उस प्रतिबंध को लागू नहीं किया जा सका। कोर्ट ने कहा कि अगर पटाखा निर्माता नियमों का पालन करते हैं तो उन्हें निर्माण की इजाजत देने में क्या समस्या है। इसके बाद कोर्ट ने कोर्ट ने निर्देश किया कि जिन पटाखा निर्माताओं के पास ग्रीन पटाखा बनाने का प्रमाणपत्र है उन्हें पटाखा निर्माण की इजाजत होगी।

    प्रामणपत्र नीरी (नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिर्सच इंस्टीट्यूट) और पेसो (पैट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी आर्गेनाइजेशन) का होना चाहिए। हालांकि ग्रीन पटाखे निर्माण की अनुमति इस शर्त के अधीन होगी कि वे लोग बनाए गए पटाखों को प्रतिबंधिति क्षेत्र में नहीं बेचेंगे।

    8 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई

    कोर्ट का यह अंतरिम आदेश है और ग्रीन पटाखों के निर्माण की यह इजाजत आठ अक्टूबर को मामले में होने वाली अगली सुनवाई तक जारी रहेगी। पटाखा निर्माताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील बलबीर सिंह और के. परमेश्वर ने कहा कि गत तीन अप्रैल का पटाखों पर पूरे वर्ष प्रतिबंध विस्तारित करने का आदेश, अर्जुन गोपाल मामले में 2018 में दिए गए आदेश के खिलाफ है। लेकिन पीठ ने फिलहाल इस मुद्दे पर विचार करने से इन्कार कर दिया।

    'नियमों का पालन करने पर निर्माण की इजाजत देने में क्या दिक्कत'

    जिसके बाद परमेश्वर ने अनुरोध किया कि उन्हें कड़ी निगरानी में ग्रीन पटाखों के निर्माण की इजाजत दे दी जाए उनके पास निर्माण के लिए नीरी और पेसो का प्रमाणपत्र है। हालांकि न्यायमित्र अपराजिता सिंह ने पटाखा निर्माताओं की मांग का विरोध किया और कहा कि इससे प्रतिबंधित क्षेत्र में इनका प्रयोग होगा। लेकिन सीजेआइ ने कहा कि अगर वे नियमों का पालन करते हैं तो फिर उन्हें निर्माण की इजाजत देने में क्या समस्या है। इसका समाधान होना चाहिए। कड़े आदेशों से समस्या पैदा होती है।

    सीजेआइ ने कहा कि जहरीले हवा के प्रदूषण से लड़ाई महत्वपूर्ण है लेकिन कामगारों के रोजगार की चिंता और आदेश को लागू करने की चुनौतियों का भी तैयार की जाने वाली नीति में ध्यान रखा जाना चाहिए।

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