UAPA कानून पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अब प्रतिबंधित संस्था का सदस्य होने पर भी होगी कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) प्रावधान की वैधता की पुष्टि की है जो सदस्यता के लिए आपराधिकता का कारण बनता है। शीर्ष अदालत का कहना है कि यूएपीए के तहत अपराध गठित करने के लिए गैरकानूनी संघ की सदस्यता ही पर्याप्त है।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। UAPA कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया। अब प्रतिबंधित संस्था का सदस्य होना भी कार्रवाई के दायरे में आएगा।
शीर्ष अदालत ने अपने उस पुराने फैसले को बदल दिया है, जिसमें कहा गया था कि सिर्फ सदस्य होना अपराध नहीं है। कोर्ट ने UAPA एक्ट की धारा 10(a)(i) को सही ठहराया।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंधित संगठनों की सदस्यता के मुद्दे पर 2011 में अपने दो-न्यायाधीशों के फैसले के अनुसार उच्च न्यायालयों द्वारा पारित बाद के फैसलों को कानून के रूप में गलत माना है। SC का मानना है कि प्रतिबंधित संगठन की मात्र सदस्यता ही व्यक्ति को अपराधी बना देगी और UAPA के प्रावधानों के तहत मुकदमा चलाने के लिए उत्तरदायी होगी।
SC ने दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा 2011 के अपने फैसले को 'कानून के रूप में बुरा' माना है, जिसमें कहा गया था कि प्रतिबंधित संगठन की सदस्यता मात्र होने से कोई व्यक्ति अपराधी नहीं बनेगा।