कस्टोडियल डेथ: थानों में CCTV की कमी पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, खुद की PIL पर सुनवाई शुरू
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों की कमी को लेकर स्वत संज्ञान जनहित याचिका पंजीकृत करने का निर्देश दिया है। अदालत ने 2018 में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने पुलिस हिरासत में हुई मौतों की खबरों के बाद यह कदम उठाया है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लेकर पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों की कमी को लेकर एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पंजीकृत करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने 2018 में मानवाधिकारों का हनन रोकने के लिए पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, ..हम 'पुलिस थानों में चालू हालत वाले सीसीटीवी कैमरों की कमी' शीर्षक से एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका दर्ज करने का निर्देश दे रहे हैं क्योंकि ऐसी खबरें आई हैं कि इस वर्ष के पिछले सात-आठ महीनों में पुलिस हिरासत में लगभग 11 मौतें हुई हैं।
केंद्र सरकार को भी दिया था निर्देश
शीर्ष अदालत केंद्र सरकार को भी सीबीआई, ईडी और एनआईए सहित जांच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे एवं रिकॉर्डिंग उपकरण लगाने का निर्देश दिया था।
कोर्ट ने कहा था, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक पुलिस स्टेशन, सभी प्रवेश और निकास के स्थानों, मुख्य द्वार, लॉक-अप, गलियारों, लाबी और रिसेप्शन के साथ-साथ लाक-अप रूम के बाहर के क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं ताकि कोई भी हिस्सा कवरेज से बाहर न रहे।
शीर्ष अदालत ने था कि सीसीटीवी सिस्टम, नाइट विजन से लैस होने चाहिए और इसमें आडियो के साथ-साथ वीडियो फुटेज भी होनी चाहिए। केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए ऐसे सिस्टम खरीदना अनिवार्य होगा जिनमें कम से कम एक वर्ष के लिए डाटा संग्रहीत करने की क्षमता हो।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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