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    मित्तल की 'बलि' से भी गोयल को 'शक्ति' नहीं

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    Updated: Wed, 21 Aug 2013 09:31 PM (IST)

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अपने खास दोस्त सुधांशु मित्तल की 'राजनीतिक बलि' भाजपा के दिल्ली अध्यक्ष विजय गोयल को थोड़ी राहत तो दे सकता है लेकिन उनकी 'शक् ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अपने खास दोस्त सुधांशु मित्तल की 'राजनीतिक बलि' भाजपा के दिल्ली अध्यक्ष विजय गोयल को थोड़ी राहत तो दे सकता है लेकिन उनकी 'शक्ति' शायद ही लौटे। सुधांशु ने चुनाव प्रकोष्ठ के संयोजक पद से इस्तीफा देकर गोयल के खिलाफ बने नाराजगी के माहौल को थोड़ा शांत करने की कोशिश की है। अब समय की कमी का तर्क देकर गोयल का अध्यक्ष पद बच सकता है। लेकिन अधूरी शक्ति के साथ। हर फैसले में अब केंद्रीय नेतृत्व की सहमति अहम होगी। जबकि चुनाव के लिए हर्षव‌र्द्धन का चेहरा सामने होगा।

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    विजय गोयल अपनी कार्यशैली के लिए सबके निशाने पर थे तो उनके विश्वस्त मित्तल पर सालों से न सिर्फ प्रदेश भाजपा, बल्कि केंद्रीय नेतृत्व से भी उंगलियां उठती रही हैं। इस बार भी जब गोयल को पद से हटाने की चर्चा तेज हुई तो मित्तल की भूमिका कठघरे में थी। गौरतलब है कि प्रदेश के चुनाव प्रभारी नितिन गडकरी गोयल से खासे नाराज थे। माना जा रहा था कि गडकरी गोयल को पद से हटाना चाहते थे।

    कुछ दूसरे केंद्रीय नेता भी इससे सहमत थे। हालांकि यह तर्क भी दिया जा रहा था कि विधानसभा चुनाव में बहुत कम वक्त है और ऐसे में अध्यक्ष पद पर बदलाव से गुटबाजी और बढ़ेगी। बताते हैं कि इस नाराजगी को थोड़ा कम करने के लिए ही मित्तल से इस्तीफा देने को कहा गया था। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने दो दिन पहले केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप पर आपत्ति जताते हुए चुनाव प्रकोष्ठ के संयोजक पद से इस्तीफा दे दिया था।

    गडकरी शुक्रवार को दिल्ली पहुंच रहे हैं। उसके बाद किसी भी दिन दिल्ली भाजपा में फैले असमंजस को दूर करने के लिए अंतिम फैसला लिया जा सकता है। संभव है कि गोयल को फिलहाल बख्श दिया जाए। लेकिन चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष के रूप में हर्षव‌र्द्धन को आगे बढ़ाकर गोयल की शक्ति और महत्वाकांक्षा दोनों पर अंकुश लगाया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि गडकरी ने गोयल समेत प्रदेश के नेताओं को इसका भी अहसास करा दिया है कि चुनाव में उतरने की रणनीति से लेकर टिकटों के बंटवारे तक में अब किसी नेता की मनमानी नहीं चलेगी। बतौर प्रभारी उन्हें केंद्रीय नेतृत्व से अधिकार मिला है और उसी लिहाज से खुद गडकरी ही टिकटों पर फैसला लेंगे।

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