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    'उनका बचपन न छीनें...', सुधा मूर्ति ने बच्चों के जरिये फॉलोअर बढ़ाने के चलन पर जताई चिंता

    Updated: Fri, 05 Dec 2025 11:22 PM (IST)

    इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष सुधा मूर्ति ने सोशल मीडिया पर बच्चों के इस्तेमाल को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि माता-पिता सोशल मीडिया पर फॉलो ...और पढ़ें

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    सुधा मूर्ति । (फाइल)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंटरनेट मीडिया पर आपको कई ऐसे रील्स और वीडियो मिल जाएंगे जिनमें बच्चों का इस्तेमाल इंटरनेट मीडिया कंटेंट के तौर पर किया जा रहा है। कई लोग अपने बच्चों की तस्वीरें और वीडियो इस तरह पोस्ट करते हैं जैसे वे किसी कमर्शियल शो का हिस्सा हों। इससे अभिभावकों को तो कमाई हो रही है, लेकिन ऐसा करके वे बच्चों से बचपन छीन रहे हैं।

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    संसद के उच्च सदन की मनोनीत सदस्य सुधा मूर्ति ने इस चलन पर चिंता जताई है। कहा कि बच्चों का इंटरनेट मीडिया कंटेंट की तरह इस्तेमाल कर कमाई करने वाले के खिलाफ केंद्र सरकार नियम बनाए ताकि देश के भविष्य को संवारा जा सके।

    शून्य काल में इस मुद्दे को उठाते हुए सुधा ने फ्रांस जैसे कई विकसित देशों से बच्चों के चित्रित किए जाने संबंधी नियमों का उल्लेख किया। सुधा ने कहा, बच्चे हमारे भविष्य हैं। हमें अपने बच्चों में अच्छी मौलिक शिक्षा विकसित करना चाहिए। खेल और कई अन्य गतिविधियों में भी बच्चों को प्रतिभा विकसित करने का अवसर मिलना चाहिए।

    इंटरनेट मीडिया पर फॉलोअर बढ़ाने की होड़

    सुधा ने कहा, इंटरनेट मीडिया अब बहुत लोकप्रिय हो गया है और इसके कई फायदे हैं, लेकिन इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं। इंटरनेट मीडिया पर फालोअर बढ़ाने की होड़ पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा, कई माता-पिता अपने मासूम बच्चों को इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्मों पर चित्रित करते हैं।

    बच्चों को विभिन्न प्रकार के परिधान, वेशभूषा में पेश किया जाता है ताकि उनके 10 हजार, आधे मिलियन (पांच लाख), एक मिलियन (10 लाख) फॉलोअर हो सकें। मैं जानती हूं कि इससे उन्हें (माता-पिता) को तो वित्तीय लाभ होता है, लेकिन इसका दीर्घकालिक प्रभाव बच्चे की मनोविज्ञान पर पड़ता है।

    चेताया- नियम न बनाया तो होगी बड़ी समस्या

    सुधा मूर्ति ने चेताया कि अगर इस बारे में नियम बनाकर प्रतिबंध नहीं लगाए गए तो भविष्य में हमारे बच्चों के लिए बड़ी समस्या होगी। उन्होंने कहा, इससे बच्चा अपनी मासूमियत खो देगा। यह बच्चों की मनोविज्ञान को प्रभावित करेगा। वे किसी सामाजिक गतिविधि, खेल, या अच्छी शिक्षा प्राप्त करने का तरीका नहीं सीख सकेंगे।

    उन्होंने विज्ञापनों और फिल्म उद्योग में बच्चों के चित्रण को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार की सराहना की। कहा, आप विज्ञापन, बच्चों के विज्ञापन, बच्चों के काम करने या फिल्म में अभिनय करने को नियंत्रित कर रहे हैं। इन सभी चीजों का ध्यान रखा गया है, और कड़े कानून लागू किए गए हैं। जबकि इंटरनेट मीडिया के मामले में ऐसा नहीं किया गया है।

    (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)