'सुदर्शन रेड्डी ने ही कमजोर की थी नक्सल विरोधी लड़ाई', विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार पर भाजपा ने खड़े किए सवाल
विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए ने उपराष्ट्रपति पद के लिए बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है जिसपर भाजपा ने सवाल उठाए हैं। भाजपा का कहना है कि रेड्डी ने 2011 में सलवा जुडूम के खिलाफ निर्णय देकर नक्सलवाद के विरुद्ध लड़ाई को कमजोर किया था। भाजपा प्रवक्ता सैय्यद जफर इस्लाम ने कहा कि मोदी सरकार में नक्सलवाद अंतिम सांसें गिन रहा है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए ने उपराष्ट्रपति पद के लिए जिन बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है, उन्हें लेकर भाजपा ने सवाल उठाना भी शुरू कर दिया है।
मोदी शासनकाल में नक्सलवाद के काफी हद तक खात्मे का दावा करने वाली भाजपा ने याद दिलाया है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में सुदर्शन रेड्डी ने ही वर्ष 2011 में सलवा जुडूम के खिलाफ निर्णय देकर नक्सलवाद के विरुद्ध चल रही लड़ाई को कमजोर किया था।
भाजपा का कहना है कि राजग प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन की पहचान जहां समाजसेवा से जुड़ी हुई है, वहीं विपक्षी उम्मदीवार रेड्डी को उस निर्णय के लिए याद किया जाता है।
राजग प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन के सामने विपक्ष ने दक्षिण भारत के ही आंध्र प्रदेश निवासी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश सुदर्शन रेड्डी को उतारकर रणनीतिक दांव चला है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश रहे हैं रेड्डी
मगर, इस पर भी भाजपा ने विपक्ष को घेरने के तथ्य कुरेद लिए। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व सांसद सैय्यद जफर इस्लाम का कहना है कि रेड्डी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहे हैं, लेकिन उन्हें विशेष तौर पर वर्ष 2011 में दिए गए उसी निर्णय के लिए जाना जाता है, जो उन्होंने माओवादी समर्थक मानी जाने वाली प्रो. नंदिनी सुंदर की याचिका पर दिया था।
छत्तीसगढ़ में तत्कालीन सरकार नक्सलवाद के खात्मे के लिए सलवा जुडूम मुहिम छेड़े हुए थी, तब जस्टिस रेड्डी की पीठ ने ही सलवा जुडूम के विरुद्ध निर्णय सुनाकर नक्सल के विरुद्ध उस महत्वपूर्ण लड़ाई को कमजोर किया था।
नक्सलवाद आज अंतिम सांसें गिन रहा: सैय्यद जफर इस्लाम
भाजपा प्रवक्त ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के विशेष प्रयासों के कारण देश में नक्सलवाद आज अंतिम सांसें गिन रहा है। यह भाजपा सरकार की पहचान है और राजग प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन स्वयं भी नक्सल प्रभावित रहे झारखंड के राज्यपाल रह चुके हैं।
वंचित वर्गों के लिए काम करने की उनकी पहचान रही है, वहीं विपक्षी उम्मदीवार रेड्डी की पहचान ऐसे निर्णय से जुड़ी है, जिसने नक्सलवाद के सफाए के प्रयासों में रुकावट डाली। उन्होंने याद दिलाया कि रेड्डी ने यह निर्णय तब सुनाया था, जब छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद चरम पर था।
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