बदलाव मांग रहा गंगा सफाई अभियान, सभी की सहभागिता से मिलेगी सफलता
पिछले कई दशकों से गंगा नदी की सफाई के लिए सरकारी स्तर पर अनेक योजनाएं बनाई गईं परंतु इनके परिणाम अब तक अपेक्षित नहीं रहे। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि स्वच्छ गंगा के लिए गठित राष्ट्रीय मिशन महज पैसे बांटने की मशीन बनकर रह गया है। फाइल
लालजी जायसवाल। आज से लगभग ढाई वर्ष पूर्व जब देशभर में लाकडाउन लगाया गया था, तब अधिकांश नदियां स्वच्छ हो गई थीं। दरअसल उस दौर में मानवजनित पर्यावरण प्रदूषण का दुष्प्रभाव न्यूनतम हो गया था। इस वजह से पर्यावरण अपने मूल रूप में आ गया था। लेकिन जैसे ही लाकडाउन खत्म हुआ, लोग नदियों को कूड़ेदान समझकर उसमें अपशिष्ट प्रवाहित करने लगे जिससे नदियां पुनः प्रदूषित होने लगीं। लिहाजा सोचना होगा कि क्या नियामकीय व्यवस्था से ही नदियों को स्वच्छ व निर्मल बनाया जा सकता है? इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को जागरूकता के साथ प्रकृति से तालमेल बनाना होगा।
आखिर हम क्यों भूल गए कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में नदियों को मां का स्वरूप माना गया है। वह इसीलिए कि व्यक्ति नदियों के प्रवाह और उनकी स्वच्छता पर कुदृष्टि न डाले। स्वच्छता के लिए केवल सरकारी प्रयास और आवंटित धन ही जरूरी नहीं है। नदियों की स्वच्छता की जिम्मेदारी प्रत्येक नागरिक की है। यहां तक कि हमारे संविधान के मूल कर्तव्य में भी स्पष्ट बताया गया है कि प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपने पर्यावरण की रक्षा तथा संवर्धन के लिए प्रयास करे। गंगा करोड़ों लोगों के दिलों में बसती है। सर्वविदित है कि गंगा से लोगों का यह जुड़ाव प्राचीन काल से ही रहा है। सदैव से ही गंगा सभी नदियों का प्रतिनिधित्व करती रही है।
यहां तक कि कई नदियों का संगम भी गंगा में ही होता है। गंगा हमेशा से लोगों को एकजुट करने की ताकत रखती है। इसलिए इसके पुनरुद्धार में सभी की भागीदारी आवश्यक है। बहरहाल, गंगा की सफाई को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता देखकर लगता है कि इस कार्य में सफलता अवश्य मिलेगी। बस जरूरत है थोड़ी सर्तकता के साथ नियमित निगरानी की। अन्यथा यह मिशन भ्रष्टाचार की भेंट भी चढ़ सकता है जिसकी आशंका इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पिछले दिनों ही व्यक्त की थी।
मालूम हो कि भारत के पांच राज्य उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और बंगाल गंगा नदी के बहाव क्षेत्र में आते हैं। इसके अलावा, कुछ सहायक नदियों के कारण यह हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और दिल्ली के कई हिस्सों को भी छूती है। इसलिए स्वच्छ गंगा परियोजना इन क्षेत्रों को भी अपने दायरे में लेती है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि क्लीन गंगा मिशन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए इसके प्रति सभी संबंधित राज्य सरकारें भी पूरी तरह प्रतिबद्धता दर्शाएं।
[शोधार्थी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय]