Move to Jagran APP

वाट्सएप की इन खूबियों से तो आप भी अंजान ही होंगे, एक नजर इधर भी डाल लें

अगर वाट्सएप को अपवाह फैलाने और गलत तथ्यों के प्रचार का स्नोत समझते हैं तो वहीं कुछ लोग इसी एप से सकारात्मक सृजन से समाज को बेहतर संदेश दे रहे हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 02 Dec 2018 05:15 PM (IST)Updated: Sun, 02 Dec 2018 06:39 PM (IST)
वाट्सएप की इन खूबियों से तो आप भी अंजान ही होंगे, एक नजर इधर भी डाल लें
वाट्सएप की इन खूबियों से तो आप भी अंजान ही होंगे, एक नजर इधर भी डाल लें

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। हर तकनीक के स्याह और उजला पक्ष होता है। यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि उस तकनीक या सुविधा का वह किस तरीके से इस्तेमाल करता है। कुछ लोग अगर वाट्सएप को अपवाह फैलाने और गलत तथ्यों के प्रचार का स्नोत समझते हैं तो वहीं कुछ लोग इसी एप से सकारात्मक सृजन से समाज को बेहतर संदेश दे रहे हैं। वाट्सएप किसान से लेकर छात्र और गृहणियों के लिए बिजनेस प्लेटफॉर्म और नेटवर्क के तौर पर मददगार साबित हो रहा है।

बढ़ता दायरा
तीन साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया मुहिम शुरू की थी। इसका मकसद पूरे देश और खासतौर पर पिछड़े इलाकों तक इंटरनेट की पहुंच सुनिश्चित करना था। देश में इसके यूजर्स की संख्या 20 करोड़ से ऊपर पहुंच चुकी है। यहां प्रत्येक छह में से एक इंसान इस एंड टू एंड इंस्क्रिप्शन इंस्टेंट चैटिंग एप का इस्तेमाल कर रहा है। इसकी खास वजह है कि यह एक फ्री एप है जिसे इस्तेमाल करने के लिए सिर्फ इंटरनेट की जरूरत होती है।

उपयोग में आसान
वाट्सएप का इस्तेमाल करना आसान है, जो उसके यूजर्स की संख्या बढ़ाने में अहम फीचर साबित हो रहा है। वर्तमान में किसान और घरेलू महिलाओं से लेकर छोटे मोटे व्यापारी तक की पहुंच में है। शिक्षा और सशक्तीकरण के अभाव में लोग जानकारी होने के बाद भी उसे साझा नहीं कर पाते हैं। वाट्सएप इन्हें दुनिया से जोड़ने के लिए एक मजबूत कड़ी के रूप में काम कर रहा है।

loksabha election banner



आम बना खास
दक्षिण मुंबई में नोशिरवान मिस्त्री के आम के खेत हैं। आम का सीजन शुरू होते ही वह वाट्सएप के जरिए इनकी तस्वीरें और क्वालिटी की जानकारी साझा करते हैं। महाराष्ट्र के बाहर भी कई राज्यों में उनके आमों के खरीदार हैं।

मकसद से मिली मंजिल
वाट्सएप पर फैलती अफवाहों ने मालिकाना कंपनी फेसबुक को कुछ कड़े निर्णय लेने पर विवश कर दिया। नतीजतन मैसेज फॉरवर्ड करने की घटाकर पांच कर दी गई। बार-बार कई ग्रुप में भेजे गए मैसेज पर फॉरवर्ड स्टीकर नजर आने लगा। देश में जब इस एप की उपयोगिता पर सवाल उठ रहे थे तब कुछ भारतीयों ने व्यंजन, रेसिपी और पाक कला से जोड़कर इसे एक नया आयाम दे दिया।

चल निकला कारोबार
दक्षिण भारत के केरल में रहने वाली भारती गोपालकृष्णन गृहिणी हैं, जो
घर में बने हुए कप केक बेचकर पैसे कमाना चाहती थीं। उन्हें एक ऐसे
प्लेटफॉर्म की जरूरत थी जिसपर वह अपने आइटम का फ्री में प्रचार कर बेच सकें। लिहाजा उन्होंने पीबी किचन नामक वाट्सएप ग्रुप बनाया। अपार्टमेंट और इलाके में रहने वाली महिलाएं इससे जुड़ती गईं और अब इस ग्रुप से जुड़े सभी बड़ा पाव से लेकर बर्गर तक कई व्यंजनों को खरीद और बेच सकते हैं।

मोबाइल से मार्केटिंग
फेसबुक भी एक सशक्त प्रचार का माध्यम है लेकिन यहां विज्ञापनों का जंजाल समझना सभी के बस की बात नहीं। वहीं वेबसाइट बनाने के लिए आपको डिजाइनर और डेवलपर की जरूरत होती है। वाट्सएप के लिए आपको कंप्यूटर की भी जरूरत नहीं है और सिर्फ एक स्मार्टफोन के जरिये उत्पाद की मार्केटिंग की जा सकती है।

खेती उगलने लगी सोना
अनिल बंदावने किसान हैं, जो पुणे के निकट एक गांव में रहते हैं। जब उन्हें महसूस हुआ कि सरकार की तरफ से फसलों और खेती के लिए मोबाइल पर एसएमएस से भेजी जा रही जानकारी और सळ्झाव नाकाफी हैं तो उन्होंने बालीराजा नामक एक वाट्सएप ग्रुप बनाया। इसमें उन्होंने पूरे देश से कई किसानों को जोड़ा। अब ये किसान इस ग्रुप में खेती से जुड़ी समस्याएं और जानकारियां साझा करते हैं। किसानों के अनुभव का लाभ दूसरों को मिलने लगा है। धीरे-धीरे इस ग्रुप की लोकप्रियता में इजाफा हुआ। अब दूसरे जिलों के किसान भी इसके सदस्य बने हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.