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    Subbarao: प्रणब, चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते समय आरबीआई पर रहता था दबाव, पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने किया दावा

    आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने अपने संस्मरण में कहा है कि प्रणब मुखर्जी और पी चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते समय वित्त मंत्रालय आरबीआई पर ब्याज दरें नरम रखने और आर्थिक वृद्धि की खुशनुमा तस्वीर पेश करने के लिए दबाव डालता था। सितंबर 2008 में लेहमैन ब्रदर्स संकट शुरू होने के पहले आरबीआई के गवर्नर का पदभार संभालने से पहले सुब्बाराव वित्त सचिव थे।

    By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Tue, 16 Apr 2024 06:00 AM (IST)
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    आरबीआई के गवर्नर का पदभार संभालने से पहले सुब्बाराव वित्त सचिव थे।

    पीटीआई, नई दिल्ली। आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने अपने संस्मरण में कहा है कि प्रणब मुखर्जी और पी चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते समय वित्त मंत्रालय आरबीआई पर ब्याज दरें नरम रखने और आर्थिक वृद्धि की खुशनुमा तस्वीर पेश करने के लिए दबाव डालता था। सुब्बाराव ने हाल में प्रकाशित अपनी किताब 'जस्ट ए मर्सिनरी?: नोट्स फ्रॉम माय लाइफ एंड करियर' में लिखा है कि सरकार और आरबीआई दोनों में रहने के बाद मैं कह सकता हूं कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता के महत्व पर सरकार के भीतर कम समझ और संवेदनशीलता है।

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    सितंबर, 2008 में लेहमैन ब्रदर्स संकट शुरू होने के पहले आरबीआई के गवर्नर का पदभार संभालने से पहले सुब्बाराव वित्त सचिव थे। लेहमैन ब्रदर्स के दिवालिया हो जाने से दुनियाभर में गहरा वित्तीय संकट पैदा हो गया था। 'सरकार का जय-जयकार करने वाला रिजर्व बैंक?' शीर्षक वाले चैप्टर में सुब्बाराव ने याद दिलाया कि सरकार का दबाव रिजर्व बैंक के ब्याज दर रुख तक ही सीमित नहीं था बल्कि उस समय सरकार ने आरबीआई पर ऑब्जेक्टिव असेसमेंट से इतर वृद्धि और मुद्रास्फीति के बारे में बेहतर अनुमान पेश करने के लिए भी दबाव डाला था।

    आरबीआई के पूर्व गवर्नर सुब्बाराव ने कहा कि 2029 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिकी बनने के बावजूद भी भारत एक गरीब देश बना रह सकता है, लिहाजा इस बात पर ज्यादा खुशी मनाने की कोई जरूरत नहीं है।

    उन्होंने सऊदी अरब का उदाहरण देते हुए कहा कि अमीर देश बनने का मतलब विकसित राष्ट्र बनना नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान का जिक्र किया। पीएम ने कई मौकों पर कहा है कि अगर वह सत्ता में वापस आते हैं तो भारत उनके तीसरे कार्यकाल में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिकी बनेगा।