हवन-पूजन जैसे धार्मिक अनुष्ठानों में छिपे हैं औषधीय लाभ? इसको प्रमाणित करने के लिए चल रहा अध्ययन
हवन-पूजन जैसे धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयुक्त सामग्री के औषधीय गुणों को वैज्ञानिक ²ष्टिकोण से प्रमाणित करने के लिए आयुष मंत्रालय का केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) सक्रिय है। इसके अंतर्गत देशभर में सीसीआरएएस की टीमें विभिन्न भौगोलिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में धार्मिक पूजा-अनुष्ठानों में प्रयुक्त सामग्रियों का अध्ययन कर रही हैं। भारत में वैदिककाल से चली आ रही कई प्राचीन ज्ञान परंपराएं धार्मिक आयोजनों में अपनाई जाती हैं।

जेएनएन, ग्वालियर। हवन-पूजन जैसे धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयुक्त सामग्री के औषधीय गुणों को वैज्ञानिक ²ष्टिकोण से प्रमाणित करने के लिए आयुष मंत्रालय का केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) सक्रिय है।
इसके अंतर्गत, देशभर में सीसीआरएएस की टीमें विभिन्न भौगोलिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में धार्मिक पूजा-अनुष्ठानों में प्रयुक्त सामग्रियों का अध्ययन कर रही हैं। यह अध्ययन न केवल परंपरागत ज्ञान को संरक्षित करेगा, बल्कि इसे पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ावा देने का भी प्रयास करेगा।
भारत में वैदिककाल से चली आ रही कई प्राचीन ज्ञान परंपराएं धार्मिक आयोजनों में अपनाई जाती हैं। हवन-पूजन में प्रयुक्त सामग्री में ऐसे पौधे और पदार्थ शामिल हैं, जो आयुर्वेद में औषधि के रूप में उपयोग होते हैं। इस अध्ययन में यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयुक्त सामग्रियों में कौन-कौन से औषधीय, जैविक और पर्यावरणीय गुण छिपे हैं।
ग्वालियर के जिला आयुष अधिकारी डॉ. जीपी वर्मा ने बताया कि टीमें जानकारी हासिल करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों के पुजारियों और आयुर्वेदाचार्यों से भी साक्षात्कार कर रही हैं।यह अध्ययन अप्रैल 2025 में प्रारंभ हुआ है और मार्च 2026 तक पूरा किया जाएगा। इसमें धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग होने वाले पौधों, धातुओं, खनिजों और अन्य सामग्रियों के गुणों की पहचान की जाएगी।
इसके साथ ही, इन सामग्रियों का रासायनिक, जैविक और औषधीय विश्लेषण भी किया जाएगा, ताकि उनके स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव का आकलन किया जा सके। शोधकर्ताओं ने पाया है कि हवन में प्रयुक्त घी या गुड़ के जलने से आक्सीजन का निर्माण होता है, जिससे वायुमंडल की शुद्धता में वृद्धि होती है।
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