गजनी की कू्रता, लूट और अत्याचार की कहानी पढ़ेंगे कक्षा सात के छात्र
कक्षा सात की एनसीईआरटी की नई सामाजिक विज्ञान की किताब में गजनवियों का अध्याय है। इसमें महमूद गजनी के भारतीय शहरों पर आक्रमण, लूटपाट और हिंदुओं, बौद्धो ...और पढ़ें

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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कक्षा सात की एनसीईआरटी की नई सामाजिक विज्ञान की किताब में गजनवियों पर एक विस्तृत अध्याय शामिल किया गया है। इसमें महमूद गजनी द्वारा भारतीय शहरों की लूट और हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों और यहां तक कि प्रतिद्वंद्वी इस्लामी संप्रदायों सहित ''काफिरों'' के कत्ल का विवरण दिया गया है।
''गजनवी आक्रमण' शीर्षक वाले छह पृष्ठों के अध्याय में बताया गया है कि महमूद गजनी ने भारत पर 17 बार हमले किए और हर बार भारी मात्रा में खजाना लेकर लौटा। एनसीईआरटी की कक्षा सात की इतिहास की पुरानी किताब में महमूद गजनी के बारे में केवल एक पैराग्राफ था। शुक्रवार को जारी की गई ''एक्सप्लोरिंग सोसाइटीज : इंडिया एंड बियान्ड'' नामक नई किताब में मथुरा और सोमनाथ जैसे शहरों की लूट का विस्तार से वर्णन किया गया है।
किताब में क्या कहा गया?
महमूद गजनी ने 11वीं शताब्दी में जयपाल को हराकर और 1008 में एक लंबी लड़ाई के बाद जयपाल के पुत्र को हराकर भारत के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त की थी। किताब में कहा गया है, ''उसके हमलों में न केवल विध्वंस और लूटपाट शामिल था, बल्कि हजारों भारतीय नागरिकों का कत्ल और बच्चों सहित कई लोगों को बंदी बनाना भी शामिल था जिन्हें मध्य एशिया के गुलामों के बाजारों में बेचने के लिए ले जाया गया था।''
किताब में उल्लेख किया गया है कि महमूद गजनी के जीवनीकारों ने उसे एक शक्तिशाली, क्रूर और निर्दयी सेनापति के रूप में चित्रित किया है, जो ''न केवल 'काफिरों' (अर्थात् हिंदुओं, बौद्धों या जैनियों) का कत्ल करने या उन्हें गुलाम बनाने के लिए बल्कि इस्लाम के प्रतिद्वंद्वी संप्रदायों के अनुयायियों को भी मारने के लिए दृढ़ संकल्पित था।''
कुल मिलाकर उसने 17 बार हमले किए। हर हमले के बाद वह भारी मात्रा में लूट के खजाने के साथ गजनी लौटा। इस अध्याय में लिखा है, ''हालांकि उसे कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा विशेष रूप से मध्य भारत के चंदेलों से..और कई मौकों पर तो वह हार टालने में कामयाब रहा। तेज रफ्तार से आगे बढ़ती उसकी विशाल सेना और उसके घुड़सवार तीरंदाजों के हमले अंतत: निर्णायक साबित हुए।''
किताब में महमूद गजनी द्वारा मथुरा की लूट पर भी प्रकाश डाला गया है। मथुरा को अपार धन-संपत्ति से भरपूर एक नगर बताया गया है 'जहां एक भव्य मंदिर स्थित है'।
इसमें कहा गया है, ''महमूद ने मंदिर को नष्ट कर दिया और उसके खजाने पर कब्जा कर लिया। कन्नौज जाने से पहले उसने अंतिम प्रतिहार शासकों में से एक को आश्चर्यचकित करते हुए कई मंदिरों को लूटा और उन्हें नष्ट कर दिया। कुछ वर्षों बाद उसने गुजरात और सोमनाथ (वर्तमान सौराष्ट्र में) के बंदरगाह का रुख किया। स्थानीय स्तर पर कड़े प्रतिरोध और अपनी सेना को भारी नुकसान के बावजूद महमूद गजनी अंतत: कई दिनों की लड़ाई के बाद विजयी हुआ। लेकिन, उसने सोमनाथ शिव मंदिर को नष्ट कर दिया और उसके विशाल खजाने को लूट ले गया।''

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