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New Diploma Course: भोज विश्वविद्यालय में छात्र रामचरित मानस की चौपाइयों से सीखेंगे न्‍यूटन की गति को पकड़ना

भारतीय संस्कृति को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए भोज विश्वविद्यालय सत्र 2021-22 से रामचरित मानस में एक नया डिप्लोमा कोर्स शुरू करेगा। इस कोर्स में मानस की चौपाइयों को भौतिक रसायन जीवविज्ञान और पर्यावरण विज्ञान से जोड़कर पढ़ाया जाएगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 15 Mar 2021 05:20 PM (IST)Updated: Mon, 15 Mar 2021 05:24 PM (IST)
भोज विश्वविद्यालय सत्र 2021-22 से रामचरित मानस में एक नया डिप्लोमा कोर्स शुरू करेगा।

अंजलि राय, भोपाल। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत भारतीय संस्कृति को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए भोज विश्वविद्यालय सत्र 2021-22 से रामचरित मानस में एक नया डिप्लोमा कोर्स शुरू करेगा। इस कोर्स में मानस की चौपाइयों को भौतिक, रसायन, जीवविज्ञान और पर्यावरण विज्ञान से जोड़कर पढ़ाया जाएगा, ताकि यह समझाया जा सके कि सनातन धर्म भी विज्ञान आधारित है। पाठ्यक्रम की सामग्री उत्तरप्रदेश के अयोध्या शोध संस्थान की मदद से तैयार कर ली गई है। इसके तहत छात्रों को श्रीराम नाम लिखे पत्थर समुद्र में तैरने या ध्वनि की गति से पुष्पक विमान के उड़ने आदि के बारे में बताया जाएगा। साथ ही श्रीराम के वनवास के दौरान प्राकृतिक सौंदर्य को पर्यावरणीय विज्ञान के माध्यम से समझाया जाएगा।

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महान गणितज्ञ, भौतिक विज्ञानी, ज्योतिष व दार्शनिक सर आइजैक न्यूटन ने भले ही वर्ष 1687 में अपने शोध पत्र 'प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्घांतों' से गुरुत्वाकर्षण और गति के नियमों की गुत्थी सुलझा दी थी और यह भी साबित किया था कि सभी सिद्घांत प्रकृति से जुड़े हैं। बावजूद इसके आज भी गणित, भौतिक और रसायन विज्ञान के बुनियादी सिद्घांतों की जटिलता बनी हुई है। भोज विश्वविद्यालय इन्हीं गुत्थियों के सिरे अब रामचरित मानस की चौपाइयों के माध्यम से खोलने जा रहा है।

31 मार्च तक कर सकते हैं आवेदन

यह कोर्स विद्यार्थी 12वीं के बाद कभी भी कर सकते हैं। इसके लिए उम्र की बाध्यता नहीं है। यह एक साल का डिप्लोमा कोर्स होगा। इसमें नामांकन के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जो 31 मार्च तक चलेगी।

इन चौपाइयों से विज्ञान को समझेंगे छात्र

1- उत्तरकांड की 'हिमगिरी कोटी अचल रघुवीरा, सिंधु कोटि सत राम गंभीरा' चौपाई से भौतिकी की विभिन्न क्रियाओं को समझ सकते हैं। इस पूरी चौपाई में मानस में ईश्वरीय कण (कणों) की शक्ति को विस्तृत वर्णित किया गया है। इसमें विद्युतीय, चुंबकीय आकर्षण बलों और गुरुत्वाकर्षण एवं परिणामी बलों के बारे में समझाया गया है।

2- बालकांड की अज अखंड अनंत अनादी, जेहि चिंतहि परमारथवादी.. चौपाई से भौतिक व रसायनिक क्रियाओं को समझाया गया है।

3- बालकांड की ब्यापक विश्वरूप भगवाना, तेहिं धरि देह चरित कृत नाना.. चौपाई से जीव विज्ञान को समझाया जाएगा।

4- बालकांड की सब के हृदय मदन अभिलाषा, लता निहारि नवहिं तरू साखा..चौपाई से पर्यावरण विज्ञान को समझाया जाएगा।

पर्यावरण संरक्षण का भी उल्लेख

रामचरित मानस की कई चौपाइयों में पर्यावरण संरक्षण का उल्लेख भी किया गया है। इसमें प्रकृति के सौंदर्य का उल्लेख कर पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाएगा।

अन्य कोर्स के साथ भी इसे कर सकते हैं

भोज विवि के कुलपति ने बताया कि यह डिप्लोमा कोर्स है। इसे ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, कर्मकांड या अन्य किसी भी कोर्स के साथ कर सकते हैं। इस पाठ्यक्रम को इस प्रकार तैयार किया गया है कि इसे करने से धर्म के साथ-साथ वैज्ञानिक व सामाजिक पहलुओं की जानकारी मिलेगी।

भोज विवि के कुलपति डा. जयंत सोनवलकर ने कहा कि रामचरित मानस की चौपाइयों से धर्म और विज्ञान के परस्पर संबंध को पढ़ाया जाएगा। इसके लिए अयोध्या शोध संस्थान की मदद से पाठ्य सामग्री तैयार कर ली गई है। इस सत्र से नामांकन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।


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