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उत्तर भारत में भूकंप के झटकों से डोली धरती, 5.5 मापी गई तीव्रता

रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.5 मापी गई है। भूकंप का केंद्र पूर्वी देहरादून से 121 किलोमीटर दूर बताया जा रहा है।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 06 Dec 2017 08:57 PM (IST)Updated: Thu, 07 Dec 2017 07:07 AM (IST)
उत्तर भारत में भूकंप के झटकों से डोली धरती, 5.5 मापी गई तीव्रता
उत्तर भारत में भूकंप के झटकों से डोली धरती, 5.5 मापी गई तीव्रता

नई दिल्ली, एएनआई। उत्तर भारत के कई हिस्सों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप के झटके रात करीब 8 बजकर 50 मिनट पर महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.5 मापी गई है। भूकंप का केंद्र उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में था। इसकी गहराई जमीन के नीचे 30 किमी बताई जा रही है।

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भूकंप के झटके दिल्ली-एनसीआर, यूपी, उत्तराखंड और दूसरे राज्यों में भी महसूस किए गए हैं। उत्तराखंड के चमोली, उत्तरकाशी, नई टिहरी, देहरादून और हरिद्वार समेत तमाम जिलों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। इन झटकों के बाद लोगों में भय का माहौल है। लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल गए हैं। दफ्तरों में काम कर रहे लोग भी सुरक्षा के लिहाज से सड़कों पर आ गए।

भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड के उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चमोली, रुद्रपयायग, बागेश्वर जोन पांच जबकि नैनीताल, अल्मोड़ा जोन चार में हैं। इसके अलावा नार्थ अल्मोड़ा थ्रस्ट से रामेश्वर, घाट, सरयू, भैंसियाछाना, सेराघाट, द्वाराहाट, श्रीनगर आदि से गुजरती है।

प्रसिद्ध भू विज्ञानी प्रो. सीसी पंत के अनुसार पूरा हिमालयी क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है। आज का भूकंप मध्यम आकार का माना जाता है। डेढ़ साल पहले चार से अधिक तीव्रता का भूकंप आया था। प्रो. पंत के अनुसार धरती के नीचे 8 मैग्नीट्यूड की ऊर्जा जमा है, जो बड़े भूकंप का संकेत है। साल 1905 में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा तथा 1934 में नेपाल बिहार बॉर्डर में 8 से अधिक तीव्रता थी। 1991 में उत्तरकाशी में तीव्रता 6.4 व 1996 में चमोली में आये भूकंप की तीव्रता 6.5 थी। प्रो. पंत ने बताया कि पिछले साल नेपाल में आये भूकंप की तीव्रता 7.2 मैग्नीट्यूड थी। उन्होंने सरकार को भूकंपरोधी भवनों की अनिवार्यता प्रभावी करने का सुझाव दिया है।

भूकंप आए तो क्या करें?

भूकंप का एहसास होते ही घबराएं नहीं चाहिए, बल्कि घर से बाहर किसी खाली जगह पर खड़े हो जाना चाहिए। बच्चों व बुजुर्गों को पहले घर से बाहर निकालें, किनारे में खड़े रहें। घर में भारी सामान सिर के ऊपर नहीं होना चाहिए। टेबल के नीचे जाना चाहिए।

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