ग्राम स्वराज अभियान के प्रति राज्यों की सुस्ती, अनुपयोगी पड़ा है केंद्र सरकार का पैसा
पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए राज्य सरकार ज्यादा मेहनत नहीं कर रहे। केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति बार-बार बैठकों में बजट जारी होने की प्रक्रिया में देरी पर चिंता जताती रही है। सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लक्ष्य के साथ ही केंद्र सरकार की मंशा देशभर की पंचायतों को आत्मनिर्भर सशक्त और पारदर्शी बनाने की है। मोदी सरकार ने अप्रैल 2018 में राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान की शुरुआत की।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार पंचायतों को सशक्त और पारदर्शी बनाना चाहती है, लेकिन इसके प्रति लगभग सभी राज्य सुस्त बने हुए हैं। केंद्र सरकार के पास बजट की कोई कमी नहीं है। चार केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़कर सभी राज्यों की वार्षिक कार्ययोजना भी वर्ष 2023-24 के लिए स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन अब तक किसी ने आवश्यक दस्तावेज नहीं जमा किए हैं। इस वजह से यह पैसा अनुपयोगी पड़ा हुआ है।
देश के पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाना सरकार का लक्ष्य
केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति बार-बार बैठकों में बजट जारी होने की प्रक्रिया में देरी पर चिंता जताती रही है। सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लक्ष्य के साथ ही केंद्र सरकार की मंशा देशभर की पंचायतों को आत्मनिर्भर, सशक्त और पारदर्शी बनाने की है।
केंद्र शासित प्रदेशों का पूरा वित्तीय भार केंद्र सरकार वहन करेगी
इसके लिए ही मोदी सरकार ने अप्रैल, 2018 में राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान की शुरुआत की। इसमें प्रविधान किया गया कि पंचायतों पर केंद्र 60 प्रतिशत खर्च करेगा तो राज्यांश 40 प्रतिशत होगा। पूर्वोत्तर, पहाड़ी राज्यों और जम्मू-कश्मीर के लिए 90:10 का अनुपात रखा गया है और बाकी केंद्र शासित प्रदेशों का पूरा वित्तीय भार केंद्र सरकार वहन करेगी। इसी के तहत वित्तीय वर्ष 2023 के लिए अब तक केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की चार बैठकें हो चुकी हैं।
जानें कब-कब हुई बैठक
17 मार्च, 2023 को पहली बैठक हुई, जिसमें दस राज्य/केंद्र शासित प्रदेश असम, बिहार, गोवा, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, नगालैंड, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की वार्षिक कार्ययोजना को मंजूरी दी गई।
दूसरी बैठक पांच अप्रैल को हुई, जिसमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, लद्दाख, पंजाब और तेलंगाना की वार्षिक कार्ययोजना स्वीकृत हुई।
तीसरी बैठक में चार मई को अंडमान-निकोबार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, मणिपुर, ओडिशा, सिक्किम और उत्तराखंड ने अपने प्रस्ताव स्वीकृत करा लिए।
चौथी बैठक 26 मई को हुई, जिसमें दादरा नगर हवेली एवं दमन दीव, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा और मेघालय की वार्षिक कार्ययोजना को भी स्वीकृति दे दी गई। इस तरह चार केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, दिल्ली, पुडुचेरी और लक्षद्वीप को छोड़कर सभी इसमें शामिल हो चुके हैं। इसके बावजूद हाल यह है कि मामला सिर्फ कार्ययोजना स्वीकृत कराने तक ही सीमित है।
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