रोहिणी नक्षत्र में न जन्मेंगे कन्हाई
देवकी नंदन इस बार रोहिणी नक्षत्र में जन्म नहीं लेंगे। अठारह साल पहले यानी सन् 1
मथुरा, जागरण संवाददाता। देवकी नंदन इस बार रोहिणी नक्षत्र में जन्म नहीं लेंगे। अठारह साल पहले यानी सन् 1995 में कृतिका नक्षत्र की जन्माष्टमी थी, जो इस बार 10 अगस्त को भी होगी। इस रात्रि बारह बजे जब भगवान श्री कृष्ण का 5238 वा जन्म होगा, उस समय कृतिका नक्षत्र गोचर में होगा। इसके बावजूद श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत सात जन्मों के पाप नष्ट करने में समर्थ रहेगा।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात्रि में लगभग हर साल रोहिणी नक्षत्र की युति रहती है, किंतु इस बार कृतिका नक्षत्र रात्रि बारह बजे शून्य काल में रहेगा और चंद्रोदय भी रात्रि 00.07 बजे होगा। नौ अगस्त को स्मार्त जन्माष्टमी करेंगे और वैष्णव जन अगले दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे। इन दोनों दिन ही रोहिणी नक्षत्र नहीं रहेगा।
भगवान श्रीकृष्ण के जन्म समय भाद्रपद अष्टमी रोहिणी नक्षत्र होने से ही विशेष महत्व वाली मानी जाती है। लेकिन दस अगस्त की रात्रि में इस बार कृतिका नक्षत्र गोचर करेगा।
ज्योतिषाचार्य लखन परिहार के अनुसार शुक्रवार को सूर्योदय कालीन अष्टमी रहेगी, जो दोपहर 1.40 तक रहेगी। इस दिन वैष्णव, गृहस्थ व संत व्रत करेंगे। भरणी नक्षत्र सुबह 6.46 तक रहेगा और उसके बाद कृतिका शुरू होगा, जो भगवान के जन्म समय में भी गोचर में रहेगा।
व्रत से मिलने वाले लाभ
दीपक ज्योतिष भागवत संस्थान के निदेशक ज्योतिषाचार्य कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी के अनुसार इस दिन उच्च राशि का चंद्रमा रहेगा, जो शुभ है। इस दिन व्रत करने से यह लाभ मिलेगा।
1-व्रत व भगवान की झाकिया बनाने से सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
2-करोड़ों एकादशी व्रत के समान पुण्य फल प्राप्त होता है।
3-गौदान करने का फल प्राप्त होता है।
4-सहज ही पुत्र प्राप्ति होती है और नि:संतान लाभान्वित होते हैं।
5-मोक्ष की प्राप्ति भी संभव हो जाती है।
व्रत के साथ सत्याचरण
ज्योतिषी श्रीमती शालिनी द्विवेदी के अनुसार नि:संतान लोगों के लिए यह व्रत शुभ फलदाई है। ऐसे दंपती देवकी व कृष्ण की पूजा अर्चना करें और संतान गोपाल मंत्र का पाठ करें। किसी योग्य पंडित से इसके सवा लाख जाप भी करा सकते हैं। जन्माष्टमी व्रत करने वालों को पूरे दिन मन मलिन नहीं रखना है। बुरे विचार, किसी की निंदा, मिथ्या आचरण नहीं करना है। संभव हो तो दान करें और पूरे दिन राधा-कृष्ण का स्मरण करें। जन्माष्टमी से शुरू करके राधाष्टमी तक राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत का पाठ करने वालों को मनोवाछित लाभ होगा।
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