स्पाइनल ट्यूमर और रीढ़ के कैंसर का इलाज हुआ आसान, जानें कितना घातक है Cancer का यह प्रकार
चिकित्सा की पारंपरिक विधियों की तुलना में रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर और कैंसर को हटाने के लिए स्टीरियोटैक्टिक रेडियो सर्जरी कहीं ज्यादा आधुनिक और असरदार है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। स्पाइनल ट्यूमर और स्पाइनल कैंसर रीढ़ की हड्डी के किसी भी भाग में चाहे वह गर्दन हो या फिर कमर का भाग या फिर सीने के पीछे का भाग इन सभी को प्रभावित कर सकता है। कैंसर दो प्रकार के होते हैं। पहला बिनाइन और दूसरा मैलिग्नेंट। ऐसे ट्यूमर जो कैंसरस नहीं होते, उन्हें बिनाइन कहा जाता है,लेकिन बिनाइन ट्यूमर भी नुकसानदेह हो सकते हैं। ऐसे ट्यूमर बहुत तेजी से आकार में बढ़ते हैं, लेकिन यह शरीर के अन्य अंगों में नहीं फैलते। इसके विपरीत मैलिग्नेंट ट्यूमर शरीर के अन्य अंगों में फैल सकते हैं।
जांचें
डिजिटल एक्सरे, सीटी स्कैन, एमआरआई, बोन स्कैन या पेट स्कैन से इस समस्या का पता लगाया जा सकता है।
लक्षणों के बारे में
एसआरएस के बारे में
चिकित्सा की पारंपरिक विधियों की तुलना में रीढ़ की हड़डी के ट्यूमर और कैंसर को हटाने के लिए स्टीरियोटैक्टिक रेडियो सर्जरी (एसआरएस) कहीं ज्यादा आधुनिक और असरदार है। इस सर्जरी के जरिए रीढ़ की हड्डी (स्पाइनल कॉर्ड को) क्षतिग्रस्त किए बगैर रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर और कैंसर को प्रभावित भाग से हटाया जा सकता है। जो ट्यूमर रीढ़ की हड्डी की वर्टिब्रा के अंदर या वर्टिब्रा के बीच में स्थित है, उसे इस सर्जरी के जरिए बखूबी दूर किया जा सकता है।
इलाज
एसआरएस में किसी भी तरीके का चीरा या कट नहीं लगाया जाता। इस सर्जरी के अंतर्गत ट्यूमर सेल्स को नष्ट करने के लिए रीढ़ की हड्डी के प्रभावित भाग में बड़ी मात्रा में रेडिएशन दिया जाता है। इस सर्जरी को अत्याधुनिक मशीनों के जरिए किया जाता है जिनमें लीनियर एक्सीलेरेटर और गामा नाइफ शामिल हैं। इस सर्जरी में ट्यूमरग्रस्त भाग के निकट वाले स्पाइन टिश्यूज को कोई क्षति नहीं पहुंचती। एसआरएस के जरिए इलाज एक से पांच सत्रों के दौरान किया जाता है। इलाज की प्रक्रिया इस बात पर निर्भर करती है कि स्पाइनल कॉर्ड के ट्यूमर की स्थिति और उसका आकार क्या है। यह डे केयर सर्जरी है। उसी दिन उसे डिस्चार्ज कर दिया जाता है।
मेडिकल टेक्नोलॉजी
डॉ. सुदीप जैन, एम.सी.एच. (स्पाइन)
नई दिल्ली