'जघन्य अपराधों के मामलों में हो त्वरित सुनवाई', सुप्रीम कोर्ट बोला- न्याय प्रणाली को हाइजैक करने का प्रयास करते हैं अपराधी
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि जघन्य अपराधों के मामलों में त्वरित जांच और सुनवाई होनी चाहिए क्योंकि अपराधी न्याय प्रणाली को हाइजैक करने का प्रयास करते हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जायमाल्या बागची की पीठ ने यह टिप्पणी अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी द्वारा यह कहने के बाद की कि एनआइए अदालतें स्थापित करने के लिए केंद्र राज्यों के साथ परामर्श कर रहा है।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि जघन्य अपराधों के मामलों में त्वरित जांच और सुनवाई होनी चाहिए, क्योंकि अपराधी न्याय प्रणाली को हाइजैक करने का प्रयास करते हैं।
एनआइए अदालतें स्थापित करने के लिए केंद्र से चल रही चर्चा
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जायमाल्या बागची की पीठ ने यह टिप्पणी अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी द्वारा यह कहने के बाद की कि एनआइए अदालतें स्थापित करने के लिए केंद्र राज्यों के साथ परामर्श कर रहा है। इस संबंध में जल्द निर्णय लिया जाएगा।
इस मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को हो सकती है
एएसजी ने कहा कि राज्यों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए।पीठ ने ऐश्वर्या को बताया कि जघन्य अपराधों में समयबद्ध जांच का पूरा होना समाज हित में है। कभी-कभी ये दुर्दांत अपराधी पूरी न्याय प्रणाली को अपने नियंत्रण में ले लेते हैं और मुकदमे को पूरा नहीं होने देते, जिसके परिणामस्वरूप अदालतें देरी के आधार पर उन्हें जमानत देने के लिए बाध्य हो जाती हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को हो सकती है।
समयबद्ध तरीके से मुकदमे को पूरा करने के लिए कोई प्रभावी तंत्र नहीं
इससे पहले 18 जुलाई को शीर्ष अदालत ने कहा था कि एनआइए अधिनियम और अन्य विशेष कानूनों के तहत त्वरित सुनवाई के लिए अपेक्षित बुनियादी ढांचे के साथ अदालतें स्थापित नहीं करने से अदालत को अनिवार्य रूप से आरोपितों को जमानत पर रिहा करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, क्योंकि समयबद्ध तरीके से मुकदमे को पूरा करने के लिए कोई प्रभावी तंत्र नहीं है।
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