स्पेस शटल कोलंबिया
Space Shuttle Columbia Disaster Explained अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) के कोलंबिया स्पेस शटल (Columbia Space Shttle) हादसे ने नासा के काम करने के तरीके में बड़े बदलाव लाने से लेकर दुनिया भर के लोगों को स्पेस के बारे में सजग किया था।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। 1 फरवरी 2003 का दिन दुनिया के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के दिल में बसे एक बुरे सपने जैसा है। वर्ष 2003 में इसी तारीख को अमेरिका का अंतरिक्ष शटल कोलंबिया अपना अंतरिक्ष मिशन समाप्त करने के बाद लौटने के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें सवार सभी सात अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) के कोलंबिया स्पेस शटल (Columbia Space Shttle) हादसे ने नासा के काम करने के तरीके में बड़े बदलाव लाने से लेकर दुनिया भर के लोगों को स्पेस के बारे में सजग किया था। 1 फरवरी, 2003 को हुए Columbia Space Shttle हादसे के बाद कई जांच हुई और उसके बाद कई खुलासे हुए।
स्पेस शटल कोलंबिया में सवार थे 7 क्रू मेंबर्स
नासा के मुताबिक, स्पेस शटल कोलंबिया में उस दिन सब कुछ प्लान के अनुसार ही चल रहा था और सात अंतरिक्ष यात्री स्पेस में 15 दिन बिताने के बाद धरती पर लौट रहे थे।
स्पेस शटल कोलंबिया के क्रू में रिक हसबैंड, (कमांडर), माइकल एंडरसन (पेलोड कमांडर), डेविड ब्राउन (मिशन स्पेशलिस्ट), कल्पना चावला, (मिशन स्पेशलिस्ट), लॉरेल क्लार्क (मिशन स्पेशलिस्ट), विलियम मैककूल (पायलट) और इजराइली स्पेस एजेंसी के पेलोड स्पेशलिस्ट इलन रेमन शामिल थे। उन्होंने धरती पर वापसी से पहले 80 एक्सपेरिमेंट किए। जिसमें मटेरियल साइंस, फ्लूइड फिजिक्स जैसे एक्सपेरिमेंट शामिल थे।
जांच में हादसे से संबंधित कई चीजें आई सामने
नासा ने लॉन्च के दौरान हुई फोम स्ट्राइक की जांच की जिसमें पता चला कि कोलंबिया के जमीन छोड़ने के लगभग 82 सेकंड के बाद, फोम का एक टुकड़ा "बिपोड रैंप" से गिर गया जो कि एक स्ट्रक्चर का हिस्सा था। ये वो हिस्सा था जो बाहरी टैंक को शटल से जोड़ता था।
लॉन्च के वीडियो में फोम कोलंबिया के बाएं विंग से टकराता हुआ दिखाई दे रहा है। जांच में पाया गया कि बाएं विंग पर हुए छेद की वजह से वायुमंडलीय गैसें शटल में बहने लगीं। इसी वजह से स्पेसशिप के सेंसर को नुकसान पहुंचा और कोलंबिया क्रैश हो गया।
क्या बचाया जा सकता था कोलंबिया को?
कई रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र मिलता है कि इस हादसे को होने से बचाया जा सकता था। नासा के कई लोगों ने ऑर्बिट में टूटे विंग की तस्वीरें लेने के लिए जोर दिया था।
इतना ही नहीं बल्कि रक्षा विभाग नजदीक से देखने के लिए अपने ऑर्बिटल स्पाई कैमरों का भी उपयोग करने के लिए तैयार था। हालांकि, कोलंबिया एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन बोर्ड (CAIB) के अनुसार नासा के अधिकारी इसके लिए राजी नहीं हुए थे।
कॉल बीच में कट गई थी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1 फरवरी, 2003 को सुबह 9 बजे से ठीक पहले मिशन कंट्रोल में असमान्य रीडिंग दिखाई दीं थी। बाएं विंग पर सेंसर से टेम्परेचर की रीडिंग पता नहीं चल रही थी। इसके बाद शटल के बाईं ओर से टायर प्रेशर रीडिंग भी गायब हो गई थी।
टायर प्रेशर रीडिंग पर बात करने के लिए स्पेसक्राफ्ट कम्यूनिकेटर ने कोलंबिया को कॉल किया था, जिसके बाद 8:59:32 बजे, रिक ने कोलंबिया से वापस कॉल किया भी किया था हालांकि, ‘रोजर’ बोलने के बाद ही कॉल बीच में कट गई थी। बता दें उस वक्त , कोलंबिया साउंड की स्पीड से भी 18 गुना अधिक तेजी से चल रहा था। मिशन कंट्रोल ने क्रू से संपर्क करने के कई प्रयास भी किए, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
आखिरी के 12 मिनट शटल बना मलबा
12 मिनट बाद, जब कोलंबिया को रनवे पर लैंड करना था, तब मिशन कंट्रोलर को एक फोन कॉल आया, जिसमें कॉलर ने बताया कि टेलीविजन नेटवर्क आकाश में शटल के टूटने का वीडियो दिखा रहा था।
बस इसके कुछ ही समय बाद, नासा ने एक स्पेस शटल को खोजने के लिए लोगों को भेजा, लेकिन वे लोग क्रू को नहीं बचा सके। वहां मलबे के ढेर के सिवाए कुछ भी नहीं था।