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    जेल तोड़कर भागा 2011 सौम्या रेप-मर्डर केस का अपराधी, पुलिस ने चंद घंटों में धर दबोचा; जानें Case की पूरी कुंडली

    Updated: Fri, 25 Jul 2025 03:23 PM (IST)

    केरल के कन्नूर सेंट्रल जेल से दुष्कर्म और हत्या का दोषी गोविंदचामी 25 फुट ऊंची दीवार फांदकर फरार हो गया लेकिन पुलिस ने उसे 10 घंटे में पकड़ लिया। गोविंदचामी 2011 के सौम्या बलात्कार और हत्या मामले का आरोपी है। उसने कंबल का इस्तेमाल कर दीवार फांदी और कुएं में छलांग लगा दी। 2012 में उसे फांसी की सजा सुनाई गई जिसे बाद में आजीवन कारावास में बदल दिया गया।

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    गोविंदचामी 2011 में सौम्या बलात्कार और हत्या मामले का आरोपी है।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल के कन्नूर सेंट्रल जेल से शुक्रवार की सुबह रेप और हत्या का दोषी गोविंदचामी ने 25 फुट ऊंची दीवार फांदकर फरार होने सकी। लेकिन केरल पुलिस ने महज 10 घंटों में उसे हिरासत में ले लिया।

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    बता दें गोविंदचामी 2011 में सौम्या बलात्कार और हत्या मामले का आरोपी है। वह दिव्यांग है। जेल से फरार होने के बाद जब पुलिस उसे पकड़ने पहुंची तो उसने कुएं में छलांग लगा दी।

    पकड़े जाने के वक्त गोविंदचामी जेल की वर्दी में नहीं था। उसने अपने कटे हुए हाथ को पैंट की जेब में छिपाने की कोशिश की, लेकिन स्थानीय लोगों और सीसीटीवी फुटेज ने उसे आसानी से बेनकाब कर दिया।

    जेल से कैसे भागा गोविंदचामी?

    गोविंदचामी का कन्नूर सेंट्रल जेल जैसी हाई-सिक्योरिटी जेल से भागना कई सवाल खड़े करता है। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, उसने कंबल का इस्तेमाल कर दीवार फांदी और संभवतः जेल की सलाखें काटीं। यह भी शक है कि उस वक्त बिजली कटी थी और बिजली का तार भी निष्क्रिय था।

    2011 सौम्या रेप-मर्डर केस में अपराधी

    गोविंदचामी को 2011 में सौम्या रेप और मर्डर मामले में दोषी ठहराया गया था। उसने 23 साल की सौम्या को एर्नाकुलम-शोरानूर पैसेंजर ट्रेन से धक्का दे दिया था। इसके बाद उसने सौम्या के साथ दुष्कर्म किया और उसे बेरहमी से पीटा।

    रेलवे पुलिस को सौम्या रेलवे ट्रैक के पास गंभीर हालत में मिली थी। 6 फरवरी 2011 को त्रिशूर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में उसने दम तोड़ दिया।

    उस वक्त गोविंदचामी अपने गृह राज्य तमिलनाडु में आठ मामलों में पहले ही दोषी ठहराया जा चुका था। 2012 में फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई, क्योंकि उसका अपराध समाज को झकझोर देने वाला था।

    केरल हाई कोर्ट ने 2013 में फास्ट-ट्रैक कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। लेकिन 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने हत्या का आरोप हटाते हुए फांसी की सजा को सात साल की जेल में बदल दिया, हालांकि आजीवन कारावास की सजा बरकरार रही।

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