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सोनिया और नरसिम्हा राव के संबंध थे तनावपूर्ण

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और दिवंगत प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के आपसी संबंध काफी तनावपूर्ण थे। क्योंकि सोनिया अपने पति और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले की धीमी जांच प्रक्रिया से व्यथित और नाखुश थी। केंद्रीय मंत्री केवी थामस ने अपनी नई किताब में यह दावा किया है। केंद्रीय खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री केवी

By Edited By: Published: Sun, 16 Feb 2014 04:27 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2014 04:27 PM (IST)

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और दिवंगत प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के आपसी संबंध काफी तनावपूर्ण थे। क्योंकि सोनिया अपने पति और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले की धीमी जांच प्रक्रिया से व्यथित और नाखुश थी। केंद्रीय मंत्री केवी थामस ने अपनी नई किताब में यह दावा किया है।

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केंद्रीय खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री केवी थॉमस ने अपनी किताब 'सोनिया : द बिलव्ड ऑफ द मासेज' में लिखा है, 'अगस्त, 1995 में सोनिया गांधी ने सार्वजनिक रूप से नाराजगी को जाहिर कर दिया था। यह घटना दो साल बाद उनकी सक्रिय राजनीति में प्रवेश की पृष्ठभूमि रही थी।' इसे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री नटवर सिंह भी दावा कर चुके हैं कि राव को सोनिया गांधी के हाथों अपमानित होना पड़ता था।

20 अगस्त, 1995 को राजीव गांधी के जन्मदिवस के मौके पर सोनिया के भाषण का जिक्र करते हुए थॉमस ने अपनी किताब में लिखा है, 'उनके शब्दों से पूरे देश को काफी पीड़ा हुई थी। राव कभी सोनिया गांधी के करीबी नहीं रहे इसलिए उन्होंने सरकार पर उंगली उठाई थी। वह राजीव गांधी हत्या के मामले की जांच में हो रहे अत्यधिक विलंब से व्यथित थी। सोनिया ने सवाल किया था कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या की जांच में इतना समय लग रहा है तो न्याय के लिए लड़ रहे आम आदमी का क्या होगा।'

थॉमस ने लिखा, सोनिया के इस बयान को न्याय दिलाने की सुस्त प्रक्रिया के विरोध में दिया गया बयान नहीं समझना चाहिए। जब कांग्रेस सत्ता में थी तो सोनिया की ओर से नरसिम्हा राव की यह कटु आलोचना वास्तव में उनकी निंदा थी। सोनिया को लगता था कि जब तक राव सत्ता में रहेंगे राजीव गांधी की हत्या की जांच आगे नहीं बढ़ेगी।

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थॉमस के मुताबिक, 'सोनिया को इस बात का विश्वास था कि किसी दूसरी एजेंसी ने राजीव की हत्या की साजिश रची और उसे लिंट्टे के जरिये अंजाम दिया गया। यही वे हालात रहे थे जिनके कारण सोनिया को राजनीति में आना पड़ा। जब पार्टी की इमारत ढह रही हो तो वह खामोश कैसे रह सकती थीं।


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