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    'सोनम वांगचुक की संस्था को मिले यूजीसी मान्यता', संसदीय समिति का आग्रह

    Updated: Sun, 14 Dec 2025 10:30 PM (IST)

    संसदीय समिति ने यूजीसी से सोनम वांगचुक की संस्था को मान्यता देने का आग्रह किया है. समिति का मानना है कि वांगचुक की संस्था, जो हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अ ...और पढ़ें

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    सोनम वांगचुक।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने कहा है कि लद्दाख के शिक्षाविद सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स (एचआइएएल) अनुकरणीय कार्य कर रहा है और इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा मान्यता दी जानी चाहिए।

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    संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में समिति ने यूजीसी द्वारा एचआइएएल की लंबित मान्यता पर चिंता व्यक्त की। समिति ने यह भी सिफारिश की कि शिक्षा मंत्रालय एचआइएएल मॉडल का गहन अध्ययन करे और विचार करे कि इसे शिक्षा में नवाचार केंद्रों या अन्य व्यवस्थाओं के माध्यम से अन्यत्र कैसे दोहराया जा सकता है।

    शिक्षा, महिला, युवा तथा खेल संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, ''लद्दाख की अपनी अध्ययन यात्रा के दौरान संसदीय समिति हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (एचआइएएल) में मौजूद शैक्षणिक, अनुसंधान और उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र से प्रभावित हुई, विशेष रूप से स्थानीय सामाजिक-सांस्कृतिक और पारिस्थितिक संदर्भों में निहित अनुभवात्मक शिक्षा को लागू करने में इसकी सफलता से।''

    रिपोर्ट में कहा गया है, समिति को यह जानकर चिंता हुई कि यूजीसी ने अभी तक एचआइएएल को मान्यता नहीं दी है और यह मामला कई वर्षों से लंबित है। समिति ने पाया कि एचआइएएल ने स्थानीय समुदाय पर जबरदस्त प्रभाव डाला है और अपने बर्फ के स्तूपों एवं अन्य सामुदायिक सहभागिता गतिविधियों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है।

    समिति ने गौर किया कि एचआइएएल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन में अनुकरणीय है, जो इस तरह के अनुभवात्मक और परियोजना-आधारित शिक्षण, सामुदायिक सहभागिता और भारतीय ज्ञान प्रणालियों के एकीकरण का आह्वान करता है।

    (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)