Social Media पर आप भी तो नहीं फैला रहे फर्जी पोस्ट, जानें- Fact Checking के 10 तरीके
Social Media Misuse जानें-अनजाने अगर आप भी कोई फेक न्यूज या मैसेज फॉरवर्ड कर रहे हैं तो मुसीबत में फंस सकते हैं। ऐसे में आपके लिए भी फैक्ट चेकिंग के तरीकों को जानना बेहद जरूरी है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों की भरमार है। इनका उद्देश्य साधारण हंसी-मजाक करने से लेकर बड़ी हिंसा फैलाने तक कुछ भी हो सकता है। ये मैसेज केवल सरकार के लिए ही नहीं, बल्कि आम लोगों के लिए भी बड़ी मुसीबत साबित हो रहे हैं। इस तरह के मैसेज राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा हैं। यही वजह है कि मंगलवार को एक मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को तीन सप्ताह के भीतर सोशल मीडिया पर फर्जी पोस्ट को नियंत्रित करने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सरकार से तीन सप्ताह में शपथ पत्र दाखिल करने को भी कहा है। गौरतलब है कि दैनिक जागरण की फैक्ट चेकिंग वेबसाइट www.vishvasnews.com ऐसी ही फर्जी खबरों या मैसेज की सच्चाई का खुलासा करती है।
यहां आपको बता दें कि पूर्व में कई बड़े दंगों और हिंसा के पीछे ऐसे ही फर्जी मैसेज की भूमिका रही है। यही वजह है कि सोशल मीडिया पर वायरल या फेक पोस्ट पर पुलिस समेत अन्य सुरक्षा एजेंसियां हमेशा नजर रखती हैं। बहुत से मीडिया हाउस भी फर्जी खबरों का नियमित वायरल टेस्ट या फैक्ट चेक करते रहते हैं।www.vishvasnews.com पर पूर्व में वायरल हुए कई फोटो, वीडियो व सोशल मीडिया पोस्ट को सच्चाई की कसौटी पर परखा जाता है। इसके अलावा आप खुद भी कुछ आसान तरीकों और थोड़ी-सी सतर्कता से ऐसे मैसेज की वास्तविकता का पता लगा सकते हैं।
ये हैं Fact Checking के 10 आसान तरीके :-
1. सोशल मीडिया पर मिलने वाले संदेश या वेबसाइट के लिंक में स्पेलिंग मिस्टेक है, तो उसके फर्जी होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है।
2. किसी भी चौंकाने वाले संदेश को बिना सोचे-समझे या उसकी वास्तविकता चेक किए बिना फॉरवर्ड न करें। ऐसा करने पर आपके खिलाफ भी अफवाह फैलाने के लिए कार्रवाई हो सकती है।
3. फेक मैसेज को ज्यादा फरोसेमंद बनाने के लिए उसके फोटो या वीडियो का प्रयोग किया जाता है, जैसा कि आजकल पाकिस्तान कश्मीर में नरसंहार की झूठी खबरें प्रसारित करने के लिए कर रहा है। इन पर बिना सोचे-समझे भरोसा न करें। ये जरूर चेक करें कि क्या वही फोटो या वीडियो किसी भरोसेमंद समाचार पत्र और चैनल पर दिखाई जा रही है या नहीं।
4. गूगल रिवर्स इमेज (Google Reverse Image) से भी फोटो की वास्तविकता पता की जा सकती है। यहां से आपको ये मालूम चल जाएगा कि दिखाई जा रही फोटो कहां की और कब की है।
5. अगर किसी मैसेज कंटेंट पर संदेह है और उसकी सच्चाई आप पता नहीं लगा पा रहे हैं, तो उसके बारे में इंटरनेट पर सर्च करें और देखें कि क्या किसी भरोसेमंद वेबसाइट पर उस बारे में कोई जानकारी है या नहीं। अगर नहीं है तो मैसेज फर्जी होगा।
6. धार्मिक या किसी क्षेत्र विशेष या समहू विशेष की भावनाएं भड़काने या उनके प्रति घृणा फैलाने वाले मैसेज फर्जी होते हैं। ऐसे मैसेज किसी व्यक्ति विशेष या समूह द्वारा हिंसा फैलाने के लिए साजिश के तहत वायरल किये जाते हैं।
7. अगर कोई हिंसा या दहशत फैलाने वाला संदेहास्पद मैसेज आपको प्राप्त होता है तो उसके बारे में पुलिस को सूचना दें। इससे आपको सच का पता लग जाएगा और साथ ही पुलिस भी किसी बड़ी घटना को रोकने के लिए अलर्ट हो सकेगी।
8. झूठी खबरें फैलाने के लिए अक्सर किसी समाचार पत्र में प्रकाशित खबर की फर्जी कटिंग का भी प्रयोग किया जाता है। मैसेज में दिखाई जा रही खबर फर्जी हो सकती है, जिसे कम्प्यूटर की मदद से एडिट किया गया हो। आप उस समाचार पत्र की वेबसाइट पर जाकर भी मैसेज में दिखाई गई खबर के बारे में सर्ज कर सकते हैं। अगर खबर सही होगी तो अवश्य ही उसके बारे में समाचार पत्र की वेबसाइट पर भी खबर होगी।
9. कोई संदेहास्पद मैसेज प्राप्त होने पर आप उसे भेजने वाले से भी पूछ सकते हैं कि उसे वह जानकारी कहां से और कैसे मिली? क्या मैसेज भेजने वाला खुद उस जानकारी के प्रति आश्वस्त है? अगर ऐसा नहीं है तो मैसेज के फर्जी होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है।
10. किसी मैसेज में अगर तिथि मौजूद है तो उससे भी संदेह के सही या गलत होने का अनुमान लगाया जा सकता है। अगर किसी मैसेज को फॉरवर्ड करने से पहले आप थोड़ी-सी भी सतर्कता बरतते हैं तो आप किसी फर्जी मैसेज को वायरल होने से रोक सकते हैं।
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