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बच्चों के लिए असुरक्षित हुई डिजिटल दुनिया, लगातार बढ़ रहे बाल यौन शोषण के मामले

आंकड़े बताते हैं कि ऑनलाइन यौन शोषण का शिकार होने वाले कुल बच्चों में से 28 फीसद बच्चों की उम्र 10 वर्ष से भी कम रही है। ऐसे मामलों में बच्चों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर डराने धमकाने के अलावा पैसे भी वसूले गए।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 09:52 AM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 09:52 AM (IST)
बच्चों के लिए असुरक्षित हुई डिजिटल दुनिया, लगातार बढ़ रहे बाल यौन शोषण के मामले
बच्चों को इंटरनेट के संसार में सुरक्षित रखने के लिए साझे प्रयास जरूरी हैं।

नई दिल्ली, डॉ. मोनिका शर्मा। इन दिनों सामने आ रही घटनाएं बताती हैं कि बच्चों के लिए इंटरनेट की दुनिया भी असुरक्षित हो चली है। यहां तक कि बच्चों को बहला-फुसलाकर वेब कैम से ली गई आपत्तिजनक तस्वीरों और मुद्राओं के आधार पर उनको ब्लैकमेल करने के मामले भी सामने आए हैं। ऐसे मामलों में बच्चों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर डराने धमकाने के अलावा पैसे भी वसूले गए, जबकि हमारे देश में आइटी एक्ट के तहत बच्चों से जुड़ी आपत्तिजनक सामग्री सर्च करना, उसे देखना और उसका आदान-प्रदान करना अपराध की श्रेणी में आता है। आंकड़े बताते हैं कि ऑनलाइन यौन शोषण का शिकार होने वाले कुल बच्चों में से 28 फीसद बच्चों की उम्र 10 वर्ष से भी कम रही है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए ही कुछ समय पहले केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रलय ने बच्चों के माता-पिता, स्कूलों, समुदायों, गैर-सरकारी संगठनों और स्थानीय सरकारों के साथ ही पुलिस एवं वकीलों को शामिल कर ऑनलाइन यौन र्दुव्‍यवहार के विरुद्ध राष्ट्रीय स्तर पर एक संगठन बनाने की घोषणा की थी। यकीनन वर्चुअल दुनिया में बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से ऐसी व्यापक प्रणाली की आवश्यकता भी है।

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बीते साल संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पेश की गई एक रिपोर्ट में भी चिंता जताई गई थी कि दुनियाभर में कम उम्र में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले बच्चों की सुरक्षा के लिए उपायों में खामियां मौजूद हैं। रिपोर्ट में बच्चों की बिक्री और यौन शोषण मामलों को लेकर चेतावनी देते हुए कहा गया था कि यौन शोषण के लिए बच्चों की उनके देशों के भीतर और बाहर ऑनलाइन बिक्री और तस्करी होती है। इतना ही नहीं बच्चों को ऑनलाइन माध्यमों के जरिये ही यौन गतिविधियां करने के लिए भी मजबूर किया जाता है। इस विशेष रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में 78 हजार 589 वेबसाइटों पर बच्चों का यौन शोषण दिखाने वाली सामग्री उपलब्ध थी। ऐसा कंटेंट परोसने वाली वेबसाइटों की संख्या में वर्ष 2018 में 32 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी।

मौजूदा समय में भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर बच्चों की बड़ी आबादी इंटरनेट और स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रही है। आज की पीढ़ी नए तकनीकी बदलावों को अपनाने में काफी सहज है। बच्चे ऑनलाइन दुनिया से जुड़कर बहुत कुछ सार्थक भी कर रहे हैं। सूचनाओं और समाचारों तक उनकी पहुंच बढ़ी है। अफसोस कि उसी अनुपात में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बाल यौन शोषण के मामले भी बढ़ गए हैं। नि:संदेह बच्चों को इंटरनेट के संसार में सुरक्षित रखने और सीखने-समझने की इस दुनिया को सकारात्मक बनाए रखने के लिए साङो प्रयास जरूरी हैं। आज की डिजिटल दुनिया में नई पीढ़ी की वर्चुअल मौजूदगी को सुरक्षा देने के लिए सरकार, परिवार और समाज के साथ ही इंटरनेट मीडिया को भी सहयोगी बनना होगा।


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