Sivakasi With Green Firecrackers : पटाखों के लिए मशहूर शिवकाशी इस बार दिवाली के लिए ग्रीन पटाखों के साथ तैयार
Sivakasi With Green Firecrackers पटाखों की नगरी के रूप में विख्यात तमिलनाडु की शिवकाशी इस बार दिवाली के लिए ग्रीन पटाखों के साथ तैयार है।
शिवकाशी, प्रेट्र। पटाखों की नगरी के रूप में विख्यात तमिलनाडु की शिवकाशी इस बार दिवाली के लिए ग्रीन पटाखों के साथ तैयार है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, इनसे प्रदूषकों का उत्सर्जन और आवाज कम होगी।
मांग पूरी करने के लिए शिवकाशी तैयार
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिवाली से पहले पारंपरिक पटाखों पर प्रतिबंध लगाए जाने से आठ लाख लोगों को रोजगार देने वाले इस कारोबार पर आशंकाओं के बादल गहरा गए थे, लेकिन इस बार यह नगरी दिवाली पर ग्रीन पटाखों की मांग पूरी करने के लिए तैयार है। शिवकाशी और उसके आसपास पटाखों की 1,000 से ज्यादा निर्माण इकाइयां हैं और उनका वार्षिक टर्नओवर 6,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का है।
राज्य में पटाखा उद्योग के सबसे बड़े संगठन तमिलनाडु फायरवर्क्स एंड एमोर्सेज मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पी. गणेशन ने बताया, '2018 में पारंपरिक पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के कारण करीब चार महीनों (इस साल) तक पटाखों का निर्माण रुका रहा था। इसके बाद केंद्र और तमिलनाडु सरकार ने 30 फीसद कम उत्सर्जन वाले ग्रीन पटाखों के निर्माण का प्रशिक्षण प्रदान कर हमारी मदद की।' नागपुर स्थित वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) और नेशनल इंवायरमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) के सहयोग से सफल प्रयोगों और प्रशिक्षण प्रदान किए जाने के बाद इस साल मार्च में ग्रीन पटाखों का निर्माण शुरू हुआ था।
गणेशन ने दावा किया कि ग्रीन पटाखों से प्रदूषण उत्सर्जन में 30 फीसद की कमी आएगी। साथ ही इनके इस्तेमाल से शोर का स्तर भी 160 डेसिबल से घटकर 125 डेसिबल रह जाएगा। हालांकि इसका मानक स्तर 90 डेसिबल है। उन्होंने बताया कि समय की कमी के कारण ग्रीन पटाखों पर 'ग्रीन लोगो' और 'क्विक रिस्पांस (क्यूआर) कोड' नहीं लगाए जा सके हैं। गणेशन ने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट उन्हें इनके बगैर भी ग्रीन पटाखों की बिक्री की इजाजत दे देगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि अगले साल से ग्रीन पटाखों पर 'ग्रीन लोगो' और 'क्यूआर कोड' उपलब्ध होंगे।
चीनी पटाखों के आयात पर चिंता व्यक्त करते हुए गणेशन ने कहा कि ग्रीन पटाखों का निर्माण सस्ता है और इनसे प्रदूषण भी कम होता है, लेकिन बाजार में वे अपनी उपस्थिति तभी दर्ज करा पाएंगे जब चीन से पटाखों का आयात न हो और पटाखों की गैरकानूनी इकाइयां बंद कर दी जाएं।