SIR के चलते पति की घर वापसी, 28 साल से था लापता, श्राद्ध भी कर चुकी थी पत्नी
देश में मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान, पश्चिम बंगाल में एक महिला के लिए खुशी का पल आया। 28 साल पहले लापता हुआ उसका पति अचानक घर लौट आया, जिसे परिवार ने मृत मानकर श्राद्ध भी कर दिया था। जगबंदू मंडल नामक यह व्यक्ति नौकरी छूटने के बाद वापस आया है और अब मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वाने की कोशिश कर रहा है।
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28 साल बाद घर लौटा पति।
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। देश भर में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण(एसआइआर) को लेकर मचे बवाल के बीच एक महिला के लिए चुनाव आयोग का यह अभियान बेहद सुखद साबित हुआ है। इस एसआइआर की वजह से उसका वर्षो बाद सुगाह जिंदा लौट आया।
दरअसल, यह चमत्कार महानगर से उत्तर 24 परगना जिले के बगदा गांव में हुआ है। यहां 28 साल से लापता 55 वर्षीय का जगबंदू मंडल का नामक एक व्यक्ति अचानक सोमवार को अपने घर लौट आया।
28 साल बाद घर लौटा 'मृत' पति
परिवार 1997 से ही उसे मृत मानकर श्राद्ध तक कर चुका था। जगबंदू फरवरी 1997 की एक ठंडी सुबह घर से निकला था और फिर कभी घर नहीं लौटा। पत्नी सुप्रिया दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ अकेली रह गई। ढूंढने-खोजने के सारे प्रयास नाकाम होने पर ज्योतिषी ने भी मौत की पुष्टि कर दी थी। फिर सुप्रिया ने पति का श्राद्ध कर विधवा की जिंदगी स्वीकार कर ली।
लेकिन, सोमवार की दोपहर अचानक दरवाजे पर दस्तक हुईष सुप्रिया ने दरवाजा खोला तो सामने वही मोटा-तगड़ा चेहरा था। आवाज भी बिल्कुल वही थी। पिता बिजय मंडल ने भी बेटों को पहचान लिया। जगबंदू ने बताया कि छत्तीसगढ़ में नौकरी चली गई, इसलिए वह लौटकर घर आ गया।
लेकिन, असल वजह कुछ और थी। उनका नाम बगदा की मतदाता सूची से कब का कट चुका है। SIR में नाम बरकरार रखने के लिए मूल वोटर कार्ड और जमीन के कागजात चाहिए।
वोटर लिस्ट से कट चुका है नाम
बांकुड़ा की वोटर लिस्ट में अभी भी उसका नाम है, इसलिए वह वापस आ गया, लेकिन बांकड़ा की लिस्ट में उसके नाम के बगल में ‘सुलेखा मंडल’ नाम देखकर गांव में अन्य चर्चा शुरू हो गई।
सुलेखा का पति भी जगबंदू मंडल ही लिखा है। दूसरी शादी की शक की सुई घूमने लगी। लेकिन, जगबंदू ने दूसरी शादी से साफ इन्कार कर रहा है। उसने बताया कि वह गुजरात गया, मुंबई रहा, थोड़े दिन बांकुड़ा में रुका फिर आखिर में छत्तीसगढ़ में बस गया था,लेकिन उसने दूसरी शादी नहीं की।
परिवार ने मान लिया था मृत, किया श्राद्ध
स्थानीय बूथ कमेटी सदस्य समीर गुहा ने बताया कि 2002 के बाद की एसआइआर सूची में जगबंदू का नाम नहीं है, सिर्फ उसके पिता का है। वापसी के बाद वह अब मूल दस्तावेजों के आधार पर अपना नाम जुड़वाने की कोशिश कर रहा है।
बूथ लेवल आफिसर ने कहा कि 28 साल तक कहीं का कोई आधिकारिक प्रमाण नहीं है। नाम कट चुका है। दावे की जांच और नाम वापस डालना आसान नहीं होगा। मतदाता सूची ने जिस शख्स को 28 साल बाद घर खींच लाया, अब वही सूची तय करेगी कि जगबंदू मंडल सचमुच जिंदा हैं या नहीं।

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