Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्‍लास्टिक कचरे को नष्‍ट होने में लगते हैं 800 साल, जानिए- कैसे मनुष्‍यों के शरीर में हर साल पहुंच रहे 82 हजार प्लास्टिक कण

    By TilakrajEdited By:
    Updated: Fri, 01 Jul 2022 09:48 AM (IST)

    सिंगल यूज प्‍लास्टिक पर प्रतिबंध का मोदी सरकार का निर्णय सराहनीय है। पर्यावरण संरक्षण समेत मानव स्वास्थ्य को बचाने के लिए मजबूत निर्णय लेना आज के समय ...और पढ़ें

    Hero Image
    समुद्र में लगभग पांच हजार अरब प्लास्टिक के महीन टुकड़े

    नई दिल्‍ली, जेएनएन। आज से देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक (Single Use Plastic Ban) यानी ऐसा प्लास्टिक जिसका उपयोग केवल एक ही बार किया जाता हो, उसके निर्माण, आयात और विक्रय पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पर्यावरण संरक्षण के साथ ही मानव स्वास्थ्य के संदर्भ में लिया गया केंद्र सरकार का यह निर्णय निश्चित रूप से सराहनीय है। ऐसे में लोगों को इस प्रकार के प्लास्टिक से संबंधित दुष्प्रभाव को समझना चाहिए और उसके अन्य बेहतर विकल्पों को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मनुष्यों में प्रतिवर्ष 82 हजार प्लास्टिक कण शरीर में प्रवेश कर रहे

    प्लास्टिक जनित वस्तुओं को नष्ट होने में 800 से एक हजार वर्ष का समय लगता है। इस कारण पृथ्वी पर प्लास्टिक कचरा इतना अधिक जमा हो चुका है कि धरती को चारों ओर से पांच बार आसानी से लपेटा जा सकता है। इस प्लास्टिक जनित वस्तुओं के उपयोग से मानव के साथ-साथ जीव जंतु भी असामयिक काल के गाल में समा जाते हैं। कुछ प्लास्टिक के कण इतने सूक्ष्म हैं कि ये जल, भोजन एवं वायु के साथ हमारे शरीर में प्रवेश कर नुकसान पहुंचा रहे हैं। ये कण हमारे प्रतिरोधी तंत्र को हानि पहुंचाते हैं। मनुष्यों में प्रतिवर्ष 82 हजार प्लास्टिक कण शरीर में प्रवेश करते हैं जिससे विविध प्रकार के रोग जन्म लेते हैं जिनमें से कैंसर सबसे खतरनाक है।

    भारत में हर रोज 26 हजार टन प्‍लास्टिक कचरा

    देश में प्रतिदिन 26 हजार टन से भी ज्यादा प्लास्टिक का उत्पादन किया जाता है। वैसे तो मानव जीवन में प्लास्टिक जनित वस्तुओं का प्रवेश इस प्रकार से घुल-मिल चुका है कि मनुष्य अपने दैनिक जीवन में प्लास्टिक वस्तुओं को निषेध करने में असफल होता रहा है। प्लास्टिक वस्तुओं का उपयोग धारणीय विकास के मार्ग में निरंतर एक बहुत बड़ी बाधा के रूप में उभर रहा है।

    जहां हम एक ओर पारिस्थितिकी मित्र बनकर वृक्ष लगाते हैं और उनकी रक्षा का संकल्प लेते हैं, तो वहीं दूसरी ओर प्लास्टिक का उपयोग कर पारिस्थितिकी के लिए दुश्मन की भूमिका भी बखूबी निभाते हैं। भले ही हम इन सबसे अनजान हों, लेकिन वास्तविकता है कि प्लास्टिक को न तो जलाकर उसे पूरी तरह से नष्ट किया जा सकता है और न ही उसे जमीन में किसी अन्य तरीके से पूरी तरह से निष्पादित किया जा सकता है। इसके निष्पादन की प्रक्रिया में पर्यावरण को बहुत ही नुकसान पहुंचता है।

    समुद्र में लगभग पांच हजार अरब प्लास्टिक के महीन टुकड़े

    बता दें कि है कि केवल भारत ही नहीं, समूचे विश्व में लगभग 40 देश प्लास्टिक कचरे के संकट से जूझ रहे हैं। भारत में यह संकट अपना विकराल रूप धारण करता जा रहा है।

    एक रिपोर्ट के अनुसार समुद्र में लगभग पांच हजार अरब प्लास्टिक के महीन टुकड़े तैर रहे हैं। इसी का दुष्परिणाम है कि जलीय जीवों को भी असमय काल के गाल में समाना पड़ रहा है और जैवविविधता का संकट उत्पन्न हो रहा है।