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    अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस: मंद पड़ रही बाघ की गुर्राहट, सिर्फ 5 फीसद बची है बाघों की संख्या

    By Arti YadavEdited By:
    Updated: Sun, 29 Jul 2018 09:02 AM (IST)

    20वीं सदी की शुरुआत से लेकर अब तक हम 95 फीसद बाघों को खो चुके हैं। 2016 तक दुनिया में सिर्फ 3890 बाघ बचे थे। ...और पढ़ें

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    अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस: मंद पड़ रही बाघ की गुर्राहट, सिर्फ 5 फीसद बची है बाघों की संख्या

    नई दिल्ली (जेएनएन)। दुनिया के सबसे फुर्तीले और खतरनाक जानवरों में से एक बाघ आज अपने अस्तित्व को लेकर जूझ रहे हैं। 20वीं सदी की शुरुआत से लेकर अब तक हम 95 फीसद बाघों को खो चुके हैं। बाघों के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिए हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। साल 2010 में बाघों के संरक्षण की मुहिम को तेज करने के लिए सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित बाघ सम्मेलन से अंतराष्ट्रीय बाघ दिवस की शुरुआत की गई।

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    कितने बचे हैं बाघ

    वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड के अनुसार, वर्ष 2016 तक दुनिया में सिर्फ 3890 बाघ बचे थे। भारत समेत कई देशों में बाघों को बचाने के लिए कई कोशिशें की जा रही हैं। सौ साल पहले दुनिया के जंगलों में करीब एक लाख बाघ विचरण करते थे।

    कम होती संख्या का कारण

    अवैध शिकार और गैरकानूनी कारोबार: पिछले एक हजार वर्षों से बाघों का उनके अंगों के लिए शिकार किया जा रहा है। इन अंगों का प्रयोग समाज में रुतबा दिखाने, सजावट के लिए और दवाओं के लिए किया जाता है। वाइल्ड लाइफ ट्रेड मॉनीर्टंरग नेटवर्क ट्रैफिक की रिपोर्ट के अनुसार हर साल करीब 104 बाघों का अवैध शिकार किया जाता है।

    मानव से टकराव: घटते आवासीय स्थल और शिकार जीवों के चलते इनको आबादी क्षेत्र में आना पड़ रहा है। यहां आकर जन-धन की हानि पहुंचाने के प्रतिफल में ग्रामीणों या अधिकारियों के हाथों मारे जाते हैं।

    घटते आवास और शिकार से नुकसान: नष्ट होते आवास और पेट भरने के लिए हिरन, बकरी, भेड़ और सुअर जैसे जीवों की कम होती संख्या भी इनकी विलुप्ति के दीर्घकालिक कारकों में से एक है। एक अध्ययन के मुताबिक बाघों का आवासीय रकबा अपने ऐतिहासिक समय का केवल सात फीसद रह गया है।

    भारत में संख्या बढ़ी

    प्रोजेक्ट टाइगर सहित तमाम अभियानों के तहत भारत ने अपने राष्ट्रीय पशु के अस्तित्व को न सिर्फ बचाया है बल्कि उसकी संख्या में भी इजाफा किया है। अनुमान है कि साल दर साल बढ़ रही इसकी संख्या 2018 की गणना में तीन हजार तक पहुंच जाएगी। साल 2022 तक भारत में बाघों की संख्या को दोगुना, करीब 6000 करने का लक्ष्य है।

    बाघों की प्रजाति और संख्या

    सुमात्रा टाइगर: सुमात्रा टाइगर की संख्या 400 बची हैं। ये टाइगर इंडोनेशिया के जावा आइलैंड और उसके आस-पास पाए जाते हैं।

    अमूर टाइगर: इन्हें साइबेरियन टाइगर भी कहते हैं। इनकी संख्या 540 हैं। दक्षिण-पूर्वी रूस, उत्तर-पूर्वी चीन में पाए जाते हैं।

    बंगाल टाइगर: भारत, नेपाल, भूटान, चीन, म्यांमार में पाए जाते हैं। इनकी कुल संख्या 2500 है।

    इंडो चीन टाइगर: इंडो चीन टाइगर की संख्या केवल 350 बची हैं। यह थाईलैंड, चीन, कंबोडिया, म्यांमार, विएतनाम जैसे देशों में पाए जाते है।

    साउथ चीन टाइगर: दक्षिण-पूर्वी चीन में पाई जाने वाली ये प्रजाति विलुप्त हो चुकी है।