Deepawali 2025 : चांदी की महंगाई से इस दिवाली महंगी होंगी मिठाइयां? जान लें बाजार का हाल
दीपावली पर चांदी की कीमतों में उछाल से मिठाइयों के दाम बढ़ने की आशंका है। चांदी का वर्क मिठाइयों को सजाने और उनका मूल्य बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चांदी महंगी होने से मिठाई निर्माताओं की लागत बढ़ेगी, जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। इस कारण उपभोक्ताओं को अपनी पसंदीदा मिठाइयां खरीदने के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं।

त्योहार में ग्राहकों को वाजिब कीमतों पर मिठाई मिल सके।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। इस बार सरकार ने भले ही जीएसटी की दरों में कमी कर दी हो लेकिन चांदी की कीमतों में इजाफा होने से मिठाइयां काफी महंगी होने जा रही हैं। मिठाई के कारोबारी भी कीमतों को रिवाइज करने की तैयारी में जुट गए हैं ताकि त्योहार में ग्राहकों को वाजिब कीमतों पर मिठाई मिल सके।
शरद कैटर्स के शरद श्रीवास्तव बताते हैं कि जो चांदी का वर्क साढ़े तीन सौ कुछ माह पहले मिलता था वह चांदी महंगा होते ही तीन सौ रुपये अधिक चढ़ गया है। इसका असर कारोबार पर भी पड़ा है। शाही मिठाइयों में चांदी का वर्क प्रयोग होता है लिहाजा काजू, कतली पिस्ता रोल से लेकर अन्य मिठाइयों जिनमें चांदी का वर्क प्रयोग होता है वह इस बार दीपावली पर जेब को ढीला करेंगी।
चांदी का वरक़, जिसे वरक या वर्क भी कहा जाता है, चांदी से बना एक अत्यंत पतला पर्ण होता है। इसका उपयोग भारत सहित एशिया के अन्य देशों जैसे पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में मिठाईयों और व्यंजनों को सजाने के लिए किया जाता है। चांदी को खाया जा सकता है, लेकिन यह स्वादविहीन होती है।
वर्क को बनाने की प्रक्रिया में चांदी को पीटकर एक चादर में ढाला जाता है, जिसकी मोटाई कुछ माइक्रोमीटर तक की होती है। इसे सुरक्षित रखने के लिए कागज की परतों के बीच रखा जाता है और उपयोग से पहले इसे निकाला जाता है। यह अत्यंत नाज़ुक होता है और छूने पर टूट जाता है।
शाकाहारी लोगों का मानना है कि वर्क बनाने के लिए चांदी को पशुओं की आंतों के बीच रखकर पीटा जाता है, जिससे यह एक मांसाहारी उत्पाद बन जाता है। त्योहारों और खास समारोहों में मिठाईयों पर चांदी का वर्क लगाना एक परंपरा है। वर्क लगी मिठाईयों की कीमत भी बढ़ जाती है।
चांदी का वर्क, जिसे अंग्रेजी में Silver Leaf भी कहा जाता है, मिठाईयों जैसे काजू कतली, बेसन चक्की और बंगाली मिठाई पर लगाया जाता है। यह मिठाई को आकर्षक बनाता है और देखने में बेहद शानदार लगता है। इसके अलावा, चांदी का वरर्क सजावट, पान, मीठी सुपारी, इलाइची और च्यवनप्राश पर भी लगाया जाता है।
माना जाता है कि चांदी के वर्क का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो मिठाई को लंबे समय तक खराब होने से बचाते हैं। इसी गुण के कारण मिठाइयों पर चांदी का वरक़ लगाने की परंपरा शुरू हुई। आजकल इसका उपयोग सजावट के लिए भी बढ़ गया है, जिससे मिठाइयों पर बैक्टीरिया पनपने की संभावना कम हो जाती है।
चांदी का वरक़ बनाने की प्रक्रिया में चमड़े का उपयोग होता है। सिल्वर लीफ को चमड़े में रखकर विशेष हथौड़ों से कूटकर पतला किया जाता है, जिससे यह एक झिल्ली जैसी परत में बदल जाता है। इसके बाद इसे निकालकर कागज में पैक किया जाता है।
पहले चांदी का वरक़ बनाने के लिए पशुओं के चमड़े का उपयोग होता था, लेकिन अब जर्मन बटर पेपर या विशेष काले कागज का उपयोग किया जाता है। आजकल चांदी का वरक़ मशीनों की मदद से बनाया जाता है, जिससे इसे पूजा और व्रत में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
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