MSME को लोन मिलने में हो रही परेशानी, सिडबी की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे; अनधिकृत इलाके में चल रही कई फैक्ट्रियां
सिडबी की हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में एमएसएमई क्षेत्र में क्रेडिट की मांग और आपूर्ति के बीच ₹30 लाख करोड़ का अंतर है। माइक्रो श्रेणी के उद्यमों को क्रेडिट सुविधा प्राप्त करने में सबसे अधिक कठिनाई होती है। रिपोर्ट में फिनटेक के माध्यम से एमएसएमई के लिए क्रेडिट उपलब्धता बढ़ाने का सुझाव दिया गया है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में एमएसएमई को अगर उनकी जरूरत के मुताबिक क्रेडिट सुविधा मिल जाए तो एमएसएमई रोजगार का बड़ा साधन बन सकता है। स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (सिडबी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अभी एमएसएमई की क्रेडिट मांग व पूर्ति में 30 लाख करोड़ का अंतर है।
इन सबके बावजूद एमएसएमई मंत्रालय के उद्यम पोर्टल पर इस साल मार्च तक पंजीकृत 6.2 करोड़ एमएसएमई 25.95 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं। रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि क्रेडिट सुविधा की परेशानी सबसे अधिक माइक्रो श्रेणी के उद्यमियों को हैं।
क्रेडिट सुविधा बढ़ाने का सुझाव
पहली बार उद्यमी बनने की चाहत रखने वाले एवं महिला उद्यमियों के साथ निर्यात में शामिल एमएसएमई की भी पहली चुनौती क्रेडिट सुविधा की है। सिडबी ने अपनी रिपोर्ट में फिनटेक के माध्यम से एमएसएमई की क्रेडिट सुविधा बढ़ाने का सुझाव दिया है।
चेंबर ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज के अध्यक्ष मुकेश मोहन गुप्ता के मुताबिक मांग के मुताबिक लोन मिलने पर एमएसएमई से निकलने वाले प्रत्यक्ष रोजगार में पांच करोड़ तक की बढ़ोतरी हो सकती है। लोन सुविधा सुगम हो जाने पर एमएसएमई अपने कर्मचारियों को अधिक वेतन और बेहतर सुविधा भी दे सकेंगे।
बैंकों से लोन मिलने में होती है दिक्कत
- एमएसएमई में बेहतर सैलरी नहीं मिल पाने से कुशल व उच्च तकनीक के जानकार कारीगर कारपोरेट जगत का रुख कर लेते हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज के महासचिव अनिल भारद्वाज ने बताया कि बैंकों से लोन मिलने में होने वाली दिक्कत का एक सबसे बड़ा कारण है कि 80 प्रतिशत एमएसएमई अनधिकृत इलाके से अपनी फैक्ट्री का संचालन करते हैं या कारोबार करते हैं।
- सभी को बैंकों से आसानी से लोन मिलने के लिए शहरी निकायों को इन इलाकों को अधिकृत घोषित करना होगा। अनधिकृत इलाके से संचालन की वजह से एमएसएमई की लागत भी अधिक हो जाती है। सिडबी की रिपोर्ट के मुताबिक बैंक से लोन लेने में दस्तावेजी प्रक्रिया, उच्च ब्याज दर और सब्सिडी की कमी सबसे बाधा है।
डिजिटल लोन को बढ़ावा देने की मांग
22 प्रतिशत एमएसएमई ने सर्वे में कहा कि उन्हें लोन में सरकार की तरफ से सब्सिडी और अनुदान की जरूरत है तो 19 प्रतिशत एमएसएमई बैंकों की दस्तावेजी प्रक्रिया को लोन लेने में बड़ी बाधा मानते हैं। 13-13 प्रतिशत एमएसएमई ने ब्याज दरों में कमी और डिजिटल लोन को बढ़ावा देने की सरकार से मांग की।
बैंकों से उधार मिलने में सबसे अधिक 33 प्रतिशत ट्रेडिग सेक्टर को दिक्कत आती है या फिर वे लोन सुविधा से वंचित रह जाते हैं। सर्विस सेक्टर के 27 प्रतिशत तो मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़े 20 प्रतिशत एमएसएमई को जरूरत के मुताबिक लोन नहीं मिल पाता है। 35 प्रतिशत महिला उद्यमियों भी जरूरत के मुताबिक लोन हासिल करने से वंचित रह जाती है।
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