छह घंटे से कम सोने से शारीरिक गतिविधि के लाभ हो जाते हैं कम, शोध में हैरान कर देने वाली बात आई सामने
यूसीएल इंस्टीट्यूट आफ एपिडेमियोलाजी एंड हेल्थ केयर से अध्ययन की प्रमुख लेखिका मिकाएला ब्लूमबर्ग ने कहा कि हमारे अध्ययन से पता चलता है कि शारीरिक गतिविधि के पूर्ण संज्ञानात्मक लाभों को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नींद आवश्यक हो सकती है। ब्लूमबर्ग ने कहा कि यह दर्शाता है कि संज्ञानात्मक स्वास्थ्य के बारे में सोचते समय नींद और शारीरिक गतिविधि पर एक साथ विचार करना कितना महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, पीटीआई। द लैंसेट हेल्दी लांगविटी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, रोजाना छह घंटे से कम सोने से नियमित शारीरिक गतिविधि का सुरक्षात्मक प्रभाव कम हो सकता है। यूके में यूनिवर्सिटी कालेज लंदन (UCL) के शोधकर्ताओं ने इंग्लैंड में 50 वर्ष और उससे अधिक आयु के 8,958 लोगों में 10 वर्षों तक संज्ञानात्मक कार्य को देखा।
शोध में क्या कुछ आया सामने?
उन्होंने विश्लेषण किया कि नींद और शारीरिक गतिविधि की आदतें लोगों के संज्ञानात्मक कार्य को कैसे प्रभावित कर सकते हैं। टीम ने पाया कि जो लोग शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय थे, लेकिन औसतन छह घंटे से कम कम नींद लेते थे, उनमें समग्र रूप से तेजी से संज्ञानात्मक गिरावट आई। जिसका अर्थ है कि 10 वर्षों के बाद उनका संज्ञानात्मक कार्य उन साथियों के बराबर था जो कम शारीरिक गतिविधि करते थे।
पर्याप्त नींद जरूरी
यूसीएल इंस्टीट्यूट आफ एपिडेमियोलाजी एंड हेल्थ केयर से अध्ययन की प्रमुख लेखिका मिकाएला ब्लूमबर्ग ने कहा कि हमारे अध्ययन से पता चलता है कि शारीरिक गतिविधि के पूर्ण संज्ञानात्मक लाभों को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नींद आवश्यक हो सकती है।
ब्लूमबर्ग ने कहा कि यह दर्शाता है कि संज्ञानात्मक स्वास्थ्य के बारे में सोचते समय नींद और शारीरिक गतिविधि पर एक साथ विचार करना कितना महत्वपूर्ण है। पिछले शोध के अनुरूप, नवीनतम अध्ययन में पाया गया कि रात में छह से आठ घंटे की नींद और उच्च स्तर की शारीरिक गतिविधि बेहतर संज्ञानात्मक कार्य से जुड़ी हुई है।
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