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    Supreme Court: शिंदे के साथ सत्ता विवाद मामले को 7 न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजने की मांग करेगा उद्धव गुट

    By Jagran NewsEdited By: Devshanker Chovdhary
    Updated: Tue, 13 Dec 2022 11:16 PM (IST)

    उद्धव ठाकरे गुट महाराष्ट्र में सत्ता के लिए एकनाथ शिंदे गुट के साथ सुप्रीम कोर्ट में चल रहे कानूनी विवाद की सुनवाई सात न्यायाधीशों की पीठ को भेजे जाने की मांग करेगा। 2016 में नाबाम रेबिया केस में सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला दिया था

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    शिंदे के साथ सत्ता विवाद मामले को 7 न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजने की मांग करेगा उद्धव गुट

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उद्धव ठाकरे गुट महाराष्ट्र में सत्ता के लिए एकनाथ शिंदे गुट के साथ सुप्रीम कोर्ट में चल रहे कानूनी विवाद की सुनवाई सात न्यायाधीशों की पीठ को भेजे जाने की मांग करेगा। मंगलवार को उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वह सबसे पहले सदस्यों की अयोग्यता के मामले में स्पीकर की शक्तियों के नाबाम रेबिया फैसले को पुनर्विचार के लिए सात न्यायाधीशों की पीठ को भेजे जाने पर बहस करेंगे।

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    सिब्बल ने कहा कि नाबाम रेबिया का फैसला पुनर्विचार के लिए सात न्यायाधीशों को भेजे जाने का मुद्दा भी इस मामले में एक विचारणीय प्रश्न है इसलिए उनकी बहस सबसे पहले इसी पर होगी। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई कर रही पीठ ने सिब्बल और दूसरे पक्ष एकनाथ शिंदे के वकीलों से कहा कि वे इस मुद्दे पर अपनी लिखित दलीलों का संक्षिप्त नोट कोर्ट में दाखिल करें। कोर्ट मामले पर 10 जनवरी को विचार करेगा।

    बता दें कि 2016 में नाबाम रेबिया केस में सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला दिया था जिसमें कहा था कि अगर पहले से स्पीकर को हटाने के की मांग का नोटिस और निर्णय सदन में लंबित है तो उस दौरान स्पीकर विधायक की अयोग्यता के मुद्दे पर कार्यवाही नहीं कर सकता। महाराष्ट्र के मामले में एकनाथ शिंदे की याचिका में नाबाम रेबिया के इसी फैसले को आधार बनाते हुए उद्धव गुट के सत्ता में रहने के दौरान डिप्टी स्पीकर द्वारा उन्हें (एकनाथ शिंदे को) भेजे गए अयोग्यता नोटिस और उस पर आगे की कार्यवाही को चुनौती दी गई है।

    एकनाथ शिंदे की याचिका में कहा गया है कि उनकी ओर से तत्कालीन डिप्टी स्पीकर (विधानसभा उपाअध्यक्ष) नरहरि सीताराम जरीवाला को हटाने का नोटिस दिया गया था जो कि लंबित था इसलिए तत्कालीन डिप्टी स्पीकर द्वारा उनके खिलाफ उस दौरान अयोग्यता की कार्यवाही नहीं की जा सकती।

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