Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    G RAM G बिल लोकसभा में पास; शिवराज सिंह बोले- 'अब कांग्रेस भंग कर देनी चाहिए'

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 01:26 PM (IST)

    केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में जी राम जी बिल 2025 पर बहस के दौरान कांग्रेस पर हमला किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने यो ...और पढ़ें

    Hero Image

    केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मनरेगा के स्थान पर लाए गए विकसित भारत-गारंटी फार रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी-जीरामजी विधेयक 2025 लंबी बहस के आज लोकसभा में पास हो गया। विपक्ष को जवाब देते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह ने कांग्रेस पर हमला किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने योजनाओं के नाम महात्मा गांधी के ऊपर नहीं बल्कि नेहरू परिवार के नाम पर रखे गए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विपक्षी सदस्यों ने इस योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने पर कड़ी चिंता जताई है और सेशन के दौरान 'महात्मा गांधी का अपमान नहीं सहेगा' जैसे नारे लगाए। जहां विपक्ष नाम बदलने पर सवाल उठा रहा है, वहीं सरकार का कहना है कि यह बिल 125 दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी देता है और गांवों का पूरा विकास करेगा।

    शिवराज सिंह का कांग्रेस पर हमला

    लोकसभा में शिवराज सिंह ने कहा, "गांधी जी के नाम पर रोने वाले विपक्ष को याद रखना चाहिए कि गांधी जी ने यह भी कहा था कि अब आजादी मिल गई और कांग्रेस को भंग कर देना चाहिए। कांग्रेस की जगह लोक सेवक संघ बनाना चाहिए। लेकिन नेहरू जी ने सत्ता से चिपके रहने और आजादी के आंदोलन का लाभ उठाने के लिए कांग्रेस भंग नहीं की।"

    उन्होंने आगे कहा, "बापू जी के आदर्शों की हत्या कांग्रेस ने उसी दिन कर दी, जिस दिन कांग्रेस भंग नहीं की गई। जिस दिन इस देश का बंटवारा स्वीकार किया गया, इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया उसी दिन बापू के आदर्शों की हत्या हो गई। मोदी सरकार ने नरेगा सही तरह से लागू करने का काम किया है। इसमें कई तरह की कमियां थीं और मोदी सरकार ने इन कमियों को दूर किया है।"

    क्यों लेकर आना पड़ा नया कानून?

    नए विधेयक के बारे में बोलते हुए ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा, "हम बताना चाहेंगे कि इस नए विधेयक को लाने की जरूरत क्यों पड़ी। अपेक्षाकृत राज्यों के बीच फंड का बटवारा नहीं हो पा रहा था। मनरेगा में कई तरह की समस्याएं आ रही थीं। इस योजना में 60 प्रतिशत पैसा मजदूरी के लिए था और 40 प्रतिशत मैटेरियल के लिए था। मैटेरियल पर तो सिर्फ 26 प्रतिशत पैसा खर्च किया गया। मनरेगा को पूरी तरह से भष्टाचार के हवाले कर दिया गया था।"

    यह भी पढ़ें: न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर में अब प्राइवेट प्लेयर्स की भी होगी एंट्री, विपक्ष के विरोध के बीच लोकसभा में SHANTI बिल पास