गांव और गांधी पर संसद में देर रात तक हुई बहस, जीआरएएम जी विधेयक पर शिवराज चौहान आज देंगे जवाब
ग्रामीण रोजगार, गांवों की आत्मनिर्भरता और महात्मा गांधी की विरासत को लेकर लोकसभा में बुधवार को लंबी और वैचारिक बहस देर रात तक जारी रही। लोकसभा रात 1:3 ...और पढ़ें

जीआरएएम जी विधेयक पर शिवराज चौहान आज देंगे जवाब (फोटो- एक्स)
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। ग्रामीण रोजगार, गांवों की आत्मनिर्भरता और महात्मा गांधी की विरासत को लेकर लोकसभा में बुधवार को लंबी और वैचारिक बहस देर रात तक जारी रही। लोकसभा रात 1:35 बजे स्थगित हुई। मनरेगा के स्थान पर लाए गए विकसित भारत-गारंटी फार रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी-जीरामजी विधेयक पर चर्चा के दौरान सरकार और विपक्ष आमने-सामने दिखे।
रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) विधेयक, 2025 पर बुधवार को आधी रात के बाद चर्चा समाप्त हुई, जिसमें 98 सदस्यों ने भाग लिया। ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरुवार को इस बहस का जवाब देंगे।
सरकार ने इसे रोजगार की कानूनी गारंटी को पहले से ज्यादा मजबूत करने और गांवों को आत्मनिर्भर बनाने वाला सुधार बताया, जबकि विपक्ष ने गांधी के नाम को हटाने और गरीबों के हितों पर प्रहार का आरोप लगाकर इसका कड़ा विरोध किया।
चर्चा के दौरान सदस्यों की सहमति से स्पीकर ओम बिरला ने बहस का समय बढ़ाया और स्पष्ट किया कि मंत्री का जवाब गुरुवार को आएगा। राष्ट्रीय ब्यूरो के अनुसार चर्चा की शुरुआत करते हुए ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह विधेयक केवल रोजगार योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत को गरीबी से मुक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में व्यापक प्रयास है।
उन्होंने कहा कि पिछले बीस वर्षों में मनरेगा ने ग्रामीण गरीबों को रोजगार उपलब्ध कराया, लेकिन बदलती आर्थिक परिस्थितियों, तकनीक और ग्रामीण जरूरतों के मद्देनजर अब ऐसे कानून की जरूरत है, जो रोजगार के साथ आजीविका, कौशल विकास और स्थायी संपत्ति निर्माण को भी जोड़े।
मंत्री ने बताया कि नए कानून के तहत हर ग्रामीण परिवार को साल में 125 दिन का कानूनी रोजगार अधिकार मिलेगा, जो मौजूदा व्यवस्था से 25 दिन अधिक है। इसका उद्देश्य गांवों से शहरों की ओर मजबूरी में होने वाले पलायन को रोकना है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कानून लागू होने के छह महीने के भीतर राज्यों को स्थानीय जरूरतों के अनुरूप योजनाएं तैयार करनी होंगी, ताकि रोजगार सृजन जल संरक्षण, ग्रामीण अवसंरचना, सामुदायिक संपत्तियों, सड़क, स्वच्छता, ऊर्जा और डिजिटल सुविधाओं जैसे कार्यों से जुड़ सके।
शिवराज ने जोर देकर कहा कि प्रस्तावित कानून महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की अवधारणा को ही आगे बढ़ाता है, जिसमें गांव आत्मनिर्भर हो सकेंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था सशक्त बनेगी। प्रस्तावित कानून में पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत किया गया है, ताकि रोजगार योजनाओं का वास्तविक लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचे।
कांग्रेस के जय प्रकाश ने बहस की शुरुआत करते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम बिल से हटाना सबसे बड़ा अपराध है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून से राज्यों पर वित्तीय बोझ पड़ेगा। साथ ही यह ग्राम सभाओं जैसे जमीनी स्तर के निकायों को प्रस्तावित कानून के तहत किए जाने वाले कामों पर फैसला लेने के उनके अधिकारों से वंचित कर देगा। हिसार के सांसद ने कहा कि यह प्रस्तावित कानून गरीबों और दलितों के खिलाफ है, क्योंकि इसे ''धनी'' सरकार द्वारा तैयार किया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार रोजगार गारंटी को कमजोर करने की दिशा में बढ़ रही है और केवल नाम बदलने से गांवों की समस्याएं हल नहीं होंगी।
प्रेट्र के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि सरकार मनरेगा को खत्म करके और इस स्कीम का नाम बदलकर महात्मा गांधी के राम राज्य के विचार को पूरी तरह से खत्म कर रही है।
उन्होंने सरकार पर गांधी और रवींद्रनाथ ठाकुर का ''अपमान'' करने का आरोप लगाया, जिन्होंने राष्ट्रपिता को महात्मा की उपाधि दी थी। मोइत्रा ने कहा कि यह बिल दर्शाता है कि सरकार ''न किसी का साथ, न किसी का विकास'' में विश्वास करती है।
ब्यूरो के अनुसार समाजवादी पार्टी के नरेश चंद पटेल ने व्यावहारिक सवाल उठाते हुए कहा कि असली मुद्दा यह है कि क्या वास्तव में 125 दिन का रोजगार जमीन पर ईमानदारी से मिल पाएगा। उन्होंने राज्यों की आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए आशंका जताई कि अतिरिक्त वित्तीय बोझ से रोजगार गारंटी कमजोर पड़ सकती है और यह संघीय ढांचे के लिए भी चुनौती बन सकता है।
भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार ने मनरेगा को ''गड्ढा खोदना और गड्ढा भरना'' योजना में बदल दिया था। उन्होंने दावा किया कि इस योजना ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद नहीं की, बल्कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। अग्रवाल ने कहा कि प्रस्तावित कानून में ''राम'' होने के कारण लोग भ्रष्टाचार में लिप्त होने से बचेंगे।

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