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    सामना में भाजपा पर तंज, 'तुम जीते लेकिन हम भी नहीं हारे'

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Mon, 20 Oct 2014 09:55 AM (IST)

    महाराष्ट्र में भाजपा को मिली जीत कभी उसकी साथी रही शिवसेना को पच नहीं रही है। शिवसेना ने अपने चिर-परिचित अंदाज में एक बार फिर राज्य में अपनी कम सीटों के आने के लिए भारतीय जनता पार्टी को दोषी ठहराया है। अपने मुखपत्र सामना में छपे एक संपादकीय में लिखा गया है कि उन्हें हराने के लिए भाजपा ने अपने सभी ह

    मुंबई। महाराष्ट्र में भाजपा को मिली जीत कभी उसकी साथी रही शिवसेना को पच नहीं रही है। शिवसेना ने अपने चिर-परिचित अंदाज में एक बार फिर राज्य में अपनी कम सीटों के आने के लिए भारतीय जनता पार्टी को दोषी ठहराया है। अपने मुखपत्र सामना में छपे एक संपादकीय में लिखा गया है कि उन्हें हराने के लिए भाजपा ने अपने सभी हथकंडे अपनाए। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रधानमंत्री और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने शिवसेना को हराने के उद्देश्य से महाराष्ट्र में डेरा डाले हुए थे। बावजूद इसके शिवसेना ने जमकर टक्कर दी।

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    संपादकीय में एक ओर जहां भाजपा को जीता हुआ माना है वहीं अपने को हारा हुआ खिलाड़ी मानने से शिवसेना बचती हुई नजर आ रही है। इस संपादकीय में लिखा गया है कि इस चुनाव में जो वोट कटे वह भाजपा की झोली में गए। बावजूद इसके शिवसेना पूरी ताकत के साथ लड़ी और एक सम्मानजनक मुकाम पाने में भी सफल रही। अपनी हालत को बेहतर बताने वाली शिवसेना ने अपने मुखपत्र के द्वारा एक बार फिर से अखंड महाराष्ट्र की मांग को दोहराते हुए लिखा है कि यदि मराठी भाषियों का यह सपना सच नहीं हुआ तो यह जनादेश किसी काम का नहीं है।

    सामना ने राज्य में मिले खंडित जनादेश को एक लटकता हुआ बुलबुला बताते हुए उस पर तंज भी कसा है। सामना में इस चुनाव में नारायण राणे जैसे कई नेताओं की हार पर खुशी जताते हुए जनता को बधाई भी दी है। इसके अलावा पार्टी ने उन सभी प्रत्याशियों को बधाई दी है जिन्होंने इस चुनाव में जीत हासिल की।

    अपनी नाकामयाबी का जिक्र करते हुए संपादकीय में लिखा गया है कि शिवसेना को प्रचार के दौरान अपने हक में जो लहर दिखाई दी थी वह किनारे तक पहुंचने से पहले ही समुद्र में घुल गई। इसके साथ इसमें लिखा गया है कि शिवसेना को दिखाई देने वाली बड़ी लहर में काफी कुछ हिस्सा सिर्फ झाग का ही निकला। शिवसेना का कहना है कि यदि उनका भाजपा से गठबंधन कायम रहता तो राज्य में एनसीपी-कांग्रेस 25 सीटें भी नहीं जीत पाती।