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    'इस समय की स्थिति 1971 के युद्ध से अलग', शशि थरूर बोले- संघर्ष को लंबा खींचने से दोनों पक्षों को होता भारी नुकसान

    Updated: Mon, 12 May 2025 06:00 AM (IST)

    कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम का स्वागत करते हुए कहा है कि 1971 के युद्ध और आज की स्थिति पूरी तरह से अलग है। थरूर ने साथ शब्दों में कहा कि पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष लंबा खींचना सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं है। उन्होंने कहा कि संघर्ष को लंबा खींचने से दोनों पक्षों में जान-माल का होता भारी नुकसान।

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    इस समय की स्थिति 1971 के युद्ध से अलग, बोले शशि थरूर। (फाइल फोटो)

    एएनआई, नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम का स्वागत करते हुए कहा है कि 1971 के युद्ध और आज की स्थिति पूरी तरह से अलग है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश के साथ सैन्य संघर्ष को लंबा खींचना भारत की सबसे बड़ी प्राथमिकता नहीं है।

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    शशि थरूर ने यह बात ऐसे समय में कही है जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से की जा रही है। 1971 युद्ध के समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ सैन्य तनाव पर प्रधानमंत्री मोदी के रुख की तुलना 1971 में इंदिरा गांधी की पाकिस्तान पर की गई कार्रवाई से करने पर थरूर ने कहा कि 1971 एक महान उपलब्धि थी, इंदिरा गांधी ने उपमहाद्वीप का नक्शा बदल दिया, लेकिन तब परिस्थितियां अलग थीं।

    भारत पर गोले दागते रहने का कोई उद्देश्य नहीं: थरूर

    उन्होंने कहा कि बांग्लादेश को मुक्त करना स्पष्ट उद्देश्य था, वहीं इस समय पाकिस्तान पर गोले दागते रहना कोई स्पष्ट उद्देश्य नहीं है। संघर्ष को लंबा खींचने से दोनों पक्षों में जान-माल का भारी नुकसान होता। हम बहुत लंबे संघर्षों में फंस जाते, जिसमें दोनों पक्षों में जान-माल का भारी नुकसान होता। क्या यह आज भारत की सबसे बड़ी प्राथमिकता है? नहीं, ऐसा नहीं है।

    कांग्रेस ने शेयर की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की तस्वीर

    इस बीच कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तस्वीरें एक्स पर पोस्ट कीं और कैप्शन दिया कि भारत को इंदिरा की याद आती है। गौरतलब है कि 1971 के युद्ध में भारत ने बांग्लादेश को आजाद करवाया था। उस समय इंदिरा गांधी देश के नेतृत्व कर रही थीं। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत ने पूर्वी पाकिस्तान (बाद में बांग्लादेश) में स्वतंत्रता आंदोलन को महत्वपूर्ण समर्थन दिया।