'उन्होंने इतिहास पर अच्छी और बुरी दोनों छाप छोड़ी...' इंदिरा गांधी की जयंती पर शशि थरूर ने ऐसे किया याद
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इंदिरा गांधी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने आधुनिक भारत के इतिहास पर गहरी छाप छोड़ी। थरूर ने आपातकाल की आलोचना की, लेकिन उनकी हत्या को व्यक्तिगत क्षति बताया। उन्होंने इंदिरा गांधी के साथ अपनी मुलाकातों और विदेश नीति पर हुई चर्चाओं को भी याद किया।

शशि थरूर ने इंदिरा गांधी को किया याद
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती पर उनकी महान विरासत को याद किया। उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये लिखा, 'आज हम एक ऐसी हस्ती को याद कर रहे हैं जिन्होंने आधुनिक भारत के इतिहास पर अच्छी और बुरी दोनों तरह ही की गहरी छाप छोड़ी है।'
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भले ही वह आपातकाल के आलोचक थे, लेकिन गांधी की हत्या एक व्यक्तिगत आघात की तरह थी। थरूर ने एक्स पर कहा, 'हमारी दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की महान विरासत को नमन करता हूं, जिनकी आज 108वीं जयंती है।'
शशि थरूर ने इंदिरा गांधी को किया याद
उन्होंने लिखा, '1971 में उपमहाद्वीप के नक्शे को फिर से बनाने में उनके निर्णायक नेतृत्व और चार साल बाद (कम प्रशंसात्मक रूप से) आपातकाल के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है (और लिखा जाएगा), इसलिए आज मैं खुद को व्यक्तिगत बातों तक ही सीमित रखूंगा।'
उन्होंने आगे लिखा, 'मेरी दिवंगत दादी मुंदरथ जयसंकिनी अम्मा का जन्म भी श्रीमती गांधी के जन्म के दिन ही हुआ था, जिससे हम दोनों के परिवारों में एक अलग सा लगाव पैदा हो गया था। मैं 1974 में सेंट स्टीफंस कॉलेज के 18 साल के छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री से मिला था। मैंने बाद में एक स्विस युवा पत्रिका के लिए उनका इंटरव्यू लिया था।'
आपातकाल की आलोचना, हत्या को बताया आघात
थरूर ने बताया कि जब इंदिरा गांधी 1977 के चुनाव हार गईं, तो उन्होंने अपने डॉक्टरेट शोध प्रबंध के लिए उनकी विदेश नीति पर दो घंटे लंबे सत्रों में उनका फिर से लंबा इंटरव्यू लिया था, जिसे बाद में उनकी पुस्तक 'रीजन्स ऑफ स्टेट' के रूप में प्रकाशित किया गया।
कांग्रेस नेता ने कहा, 'हालांकि मैं आपातकाल का आलोचक था, जैसा कि मेरी किताबों में भी झलकता है, उनकी हत्या एक व्यक्तिगत आघात की तरह महसूस हुई। आज, हम एक ऐसी हस्ती को याद कर रहे हैं जिसने आधुनिक भारत के इतिहास पर, अच्छे और बुरे, एक गहरी छाप छोड़ी।'
19 नवंबर, 1917 को जन्मी इंदिरा गांधी ने 1966 से 1977 तक और फिर 1980 से 31 अक्टूबर, 1984 को अपनी हत्या तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।

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