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    ...महाराष्‍ट्र में पहली गठबंधन सरकार के नायक थे शरद पवार, 1978 में सबसे कम उम्र के CM

    By Ramesh MishraEdited By:
    Updated: Tue, 26 Nov 2019 03:52 PM (IST)

    Maharashtra Politics उस वक्‍त शरद पवार पर वसंत दादा को धोखा देने का आरोप लगा था। प्रदेश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार अस्तित्‍व में आई ।

    ...महाराष्‍ट्र में पहली गठबंधन सरकार के नायक थे शरद पवार, 1978 में सबसे कम उम्र के CM

    नई दिल्‍ली, जागरण स्‍पेशल । वर्ष 1978 महाराष्‍ट्र की सियासत में बेहद खास साल माना जाता है। खासकर शरद पवार के लिए। इस वर्ष शरद पवार ने प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट बनाकर पहली बार प्रदेश में गठबंधन की सरकार बनाई थी। इसके साथ वह पवार पहली बार महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री बने थे। तब उनकी उम्र महज 38 साल की थी। इस तरह कहा जा सकता है कि बहुत कम उम्र में उनको बड़ी राजनीतिक परिपक्‍वता आ गई थी।दरअसल, उस वक्‍त महाराष्‍ट्र में कांग्रेस की सरकार थी। वसंतदादा पाटिल उस वक्‍त्‍ महाराश्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री थे। पार्टी से अनबन के कारण पवार कांग्रेस से नाता तोड़ लिए थे। महाराष्‍ट्र में पहली गठबंधन सरकार के नायक थे शरद पवार, सबसे कम उम्र के

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    40 विधायकों के साथ अलग हुए पवार

    1977 में आपात काल के बाद देश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल था। इसका असर महाराष्‍ट्र की सियासत पर पड़ना लाजमी था। 1978 में महाराष्‍ट्र विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा था। उस दौरान 40 विधायकों के साथ पवार सरकार से अलग हो गए। सुशील कुमार शिंदे, दत्‍ता मेघे और सुंदरराव सोलंकी जैसे मंत्रियों ने सरकार से इस्‍तीफा दे दिया। इससे मौजूदा वसंतदादा की सरकार अल्‍पमत में आ गई। इसके बाद मुख्‍यमंत्री वसंतदादा पाटिल और उपमुख्‍यमंत्री नाशिकराव ने इस्‍तीफा दे दिया। लेकिन गठबंधन सरकार स्‍थाई सरकार नहीं दे पाई। महाराष्‍ट्र की पहली गठबंधन की सरकार सिर्फ चार महीने ही चल सकी।

    महाराष्‍ट्र में पहली बार बनी गठबंधन सरकार

    महाराष्‍ट्र में पहली बार गठबंधन की सरकार अस्तित्‍व में आई। प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट बनाकर शरद पवार ने महाराष्‍ट्र में पहली बार गठबंधन की सरकार बनाई थी। उस समय एक नाटकीय घटनाक्रम के बाद शरद पवार को मुख्‍यमंत्री बनाया गया था। इस सियासी महासंग्राम में महाराष्‍ट्र के कद्दावार नेता वसंत दादा पाटिल को पस्‍त करके अपना वर्चस्‍व कायम किया। उस वक्‍त शरद पवार पर वसंत दादा को धोखा देने का आरोप लगा था। प्रदेश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार अस्तित्‍व में आई । यह महाराष्‍ट्र की सियासत में बेहद अस्थिरता का दौर था।

    देश में आपात काल के बाद स्थितियां बदली हुई थीं। जनता पार्टी के साथ शरद पवार की निकटता बढ़ने लगी। कई नेता आबा साहेब कुलकर्णी, एमएन जोशी जैसे कई नेताओं ने शरद पवार को सपोर्ट किया। इसके साथ 18 जुलाई,1978 को महाराष्‍ट्र में पहली बार गैरकांग्रेसी सरकार का गठन हुआ। इस गठबंधन सरकार में समाजवादी कांग्रेस, जनता पार्टी, क्‍म्‍युनिष्‍ट पार्टी समेत कई अन्‍य पार्टियां शामिल थीं। इस गठबंधन का नाम प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट रखा गया। पवार सबसे कम उम्र के मुख्‍यमंत्री बने। लेकिन यह सरकार महज 18 महीने ही चल सकी। 

     

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