Sharad Joshi Death Anniversary: बची रहती जान तो शरद जोशी ही माफ कराते ‘लगान’
प्रसिद्ध अभिनेता आमिर खान ने कहा था- शरद जी ही लिखेंगे फिल्म की स्क्रिप्ट अभिनेता को नहीं थी उनके निधन की जानकारी बाद में केपी सक्सेना ने लिखी कहानी।
ईश्वर शर्मा, इंदौर। प्रसिद्ध अभिनेता आमिर खान अपनी फिल्म ‘लगान’ की स्क्रिप्ट ख्यात व्यंग्यकार शरद जोशी से लिखवाना चाहते थे, मगर उनको जोशी के निधन की जानकारी नहीं थी। जब उनको इस बारे में पता चला तब उन्होंने शरद जोशी की ही तरह लिखने वाले किसी दूसरे लेखक को ढूंढने की बात कही थी। अंतत: व्यंग्यकार केपी सक्सेना ने यह काम किया था। यह जानकारी वरिष्ठ व्यंग्यकार व पद्मश्री डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया से साझा की। जोशी का निधन पांच सितंबर, 1991 को हृदयाघात से हुआ था।
उनकी पुण्यतिथि के मौके पर डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि आमिर खान चाहते थे कि लगान का प्रत्येक डायलॉग लोक-जीवन की सुगंध लिए हुए देशज भाषा में हो। शरद जी का लिखा ‘लापतागंज’ उन्हें बहुत पसंद था, इसलिए वे ‘लगान’ फिल्म में वैसी ही रोचक, देशज व करोड़ों लोगों के दिल को छू लेने वाली भाषा चाहते थे। किंतु जब उन्हें बताया गया कि शरद जी दुनिया छोड़ गए हैं, तब आमिर ने तय किया था कि शरद जी नहीं हैं तो उनकी ही तरह लिख सकने वाले किसी लेखक से ही स्क्रिप्ट लिखवाई जाए। इसके बाद वरिष्ठ व्यंग्य लेखक केपी सक्सेना ने फिल्म पर काम किया।
बाल ठाकरे ने दिलवाए थे बकाया पैसे: यह भी चर्चा रही है कि जब शरद जोशी का निधन हुआ, तब वे लाखों रुपये के फिल्मी व अन्य प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे थे। उनके देहांत के बाद कई फिल्म निर्माताओं ने पैसा देने में आनाकानी की थी। यह बात शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे तक पहुंची थी। ठाकरे शरद जोशी के प्रशंसक थे। उन्होंने जिन-जिन लोगों पर शरद जी के पैसे बकाया थे, उन तक संदेश पहुंचाया कि 24 घंटे में बकाया पैसा जोशी जी के परिवार तक पहुंच जाना चाहिए। इसका असर यह हुआ कि अगले ही दिन सभी बकायेदार राशि शरद जोशी के परिवार को दे आए थे।
शोले के बाद सिप्पी ने जोशी के लिए खोला था नया दफ्तर: डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि शोले के जबर्दस्त हिट होने के बाद फिल्म निर्माता जीपी सिप्पी बहुत बड़े आदमी हो गए थे। फिल्म लेखक उनके साथ काम करने के लिए कुछ भी करने को तैयार थे, लेकिन सिप्पी एक फिल्म शरद जोशी से लिखवाना चाहते थे। बताया जाता है कि कुछ कारणों से शरद जोशी ने सिप्पी को यह कहते हुए मना कर दिया था कि मैं अंधेरी में रहता हूं और आप जुहू में। मैं इतनी दूर नहीं आ पाऊंगा। तब सिप्पी ने शरद के लिए अंधेरी में एक दफ्तर खुलवा दिया था। इसके बाद शरद जोशी ने उनके लिए फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी।