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    'मैं उन्हें कभी मुस्कुराते नहीं देख पाऊंगा,' रतन टाटा के निधन के बाद शांतनु नायडू ने की भावुक पोस्ट

    Updated: Sun, 13 Oct 2024 03:06 PM (IST)

    दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन के तीन दिन बाद उनके भरोसेमंद सहयोगी शांतनु नायडू ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट लिखी है। उन्होंने लिखा है उनके लिए यह स्वीकार करना कितना मुश्किल रहा है कि वे रतन टाटा को फिर कभी मुस्कुराते हुए नहीं देख पाएंगे। रतन टाटा का बुधवार देर रात 86 साल की उम्र में निधन हो गया था।

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    शांतनु नायडू ने रतन टाटा के लिए की भावुक पोस्ट

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन से पूरा देश शोक में है। उनके निधन के तीन दिन बाद उनके भरोसेमंद सहयोगी शांतनु नायडू ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट लिखी है, उन्होंने लिखा है कि उनके लिए यह स्वीकार करना कितना मुश्किल रहा है कि वे रतन टाटा को फिर कभी मुस्कुराते हुए नहीं देख पाएंगे।

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    रतन टाटा का बुधवार देर रात 86 साल की उम्र में निधन हो गया था। उनके निधन से पूरा देश स्तब्ध और दुखी है। शांतनु नायडू रतन टाटा के सबसे करीबी दोस्त रहे हैं। साथ ही वह टाटा ट्रस्ट के सबसे युवा मैनेजर भी हैं।

    'मैं उन्हें फिर से कभी मुस्कराता हुए नहीं देख पाऊंगा'

    नायडू 2014 में पहली बार रतन टाटा से मिले, उन लोगों को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने पिछले तीन दिनों में उन्हें शोक संदेश भेजे थे। इंस्टाग्राम पोस्ट में मुंबई के एक पुलिसकर्मी को आंसू भरी आंखों वाले नायडू को थपथपाते और सांत्वना देते हुए देखा जा सकता है। शांतनु ने अपनी एक पोस्ट में लिखा है, 'आखिरकार बैठकर चीजों को महसूस करने का मौका मिल रहा है। अभी भी इस बात को स्वीकार करने की कोशिश कर रहा हूं कि मैं उन्हें फिर कभी मुस्कुराते हुए नहीं देख पाऊंगा या उन्हें मुस्कुराने का मौका नहीं दे पाऊंगा।'

    'आपका संदेश मुझे हौसला देता था'

    शांतनु ने अपने पोस्ट में आगे लिखा, पिछले 3 दिनों में, देश भर से अजनबियों ने ढेरों संदेश भेजे हैं। इन्हें पढ़कर ऐसा लग रहा है, जैसे आप और मैं सालों से परिवार हैं। हर बार जब मैं सोचता था कि दुख खत्म हो जाएगा, तो आप में से किसी एक का कोई संदेश या इशारा मुझे थोड़ा हौसला देता था।

    उन्होंने आगे ये भी कहा, मुंबई के ये उदार पुलिसकर्मी इतने दयालु थे कि उन्होंने पूरे शहर को गले लगाया। यह एक विदाई उपहार की तरह लगी। धन्यवाद, मैं सच में यही कह रहा हूं।'

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