कोरोना से जंग में एक कदम और आगे बढ़ा देश, सीरम ने न्यूमोनिया का पहला स्वदेशी टीका विकसित किया, अगले हफ्ते होगा लॉन्च
कोरोना से जारी जंग के बीच सीरम इंस्टीट्यूट ने न्यूमोनिया रोग (Pneumonia) से लड़ने के लिए पहला स्वदेशी टीका विकसित किया है। अगले हफ्ते इसे लॉन्च किया ...और पढ़ें

नई दिल्ली, पीटीआइ। कोरोना के खिलाफ जारी जंग के बीच सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India, SII) से एक अच्छी खबर सामने आई है। सीरम ने न्यूमोनिया रोग (Pneumonia) से लड़ने के लिए पहला स्वदेशी टीका विकसित किया है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, इसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री (Union Health Minister) हर्षवर्धन (Harsh Vardhan) अगले हफ्ते लॉन्च कर सकते हैं। इसके बाद यह टीका बाजार में आम आदमी के लिए उपलब्ध होगा।
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में होगा सहायक
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चूंकि न्यूमोनिया श्वसन संबंधी बीमारी है। ऐसे में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भी इस टीके को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सनद रहे कि कोरोना से संक्रमित अधिकांश लोगों को बाद में न्यूमोनिया की बीमारी होने की रिपोर्टें सामने आ चुकी है। भारत फिलहाल न्यूमोनिया के टीके के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर है जो काफी मंहगा पड़ता है। मांस में लगने वाले इस टीके को डब्ल्यूएचओ से जनवरी में ही मंजूरी मिल चुकी है।
विदेशी टीकों के मुकाबले किफायती
सूत्रों की मानें तो न्यूमोनिया के खिलाफ यह वैक्सीन मौजूदा वक्त में दो विदेशी कंपनियों की ओर से उपलब्ध कराए जा रहे टीकों के मुकाबले काफी सस्ती होगी। भारतीय औषधि नियामक (India's drug regulator) ने बीते जुलाई महीने में ही इस टीके को बाजार में उतारने की अनुमति दे दी थी। पुणे स्थित संस्थान का यह टीका क्लिनिकल ट्रायल के पहले, दूसरे और तीसरे चरण के आंकड़े संतोषजनक पाए गए थे।
हर साल एक लाख से ज्यादा बच्चों की हो जाती है मौत
सूत्रों की मानें तो यह टीका फाइजर (Pfizer) के एनवाईएसई पीएफई (NYSE: PFE) और ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (GlaxoSmithKline) के एलएसई जीएसके (LSE: GSK) के मुकाबले सस्ता होगा। यूनिसेफ के मुताबिक, भारत में न्यूमोनिया की वजह से हर साल पांच साल तक के एक लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है। इसे मेक इन इंडिया की एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर भी देखा जा रहा है।

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