हत्या के दोषी की सजा हाईकोर्ट ने की दो वर्ष, लेकिन 13 साल की सजा काटने के बाद
लल्ला उर्फ नागेन्द्र ने हाई कोर्ट के फैसले के इंतजार में 13 साल की जेल काट ली, लेकिन जब फैसला आया तो कोर्ट ने मारपीट की धारा में दो साल की सजा के लिए ही दोषी माना।
नईदुनिया, ग्वालियर। लल्ला उर्फ नागेन्द्र ने हाई कोर्ट के फैसले के इंतजार में 13 साल की जेल काट ली, लेकिन जब फैसला आया तो कोर्ट ने मारपीट की धारा में दो साल की सजा के लिए ही दोषी माना। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन के पास आरोपित के खिलाफ ऐसे साक्ष्य नहीं हैं, जिससे लल्ला को हत्या के लिए दोषी माना जा सके। वह 13 साल की सजा काट चुका है, इसलिए जेल से रिहा किया जाए।
मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर हाई कोर्ट का है। गोविंद सिंह ने पांच मई 1999 को गोहद थाने में मामला दर्ज कराया था कि उसका भाई राममोहन सुबह पानी भरने जा रहा था तब लल्ला एवं उसके साथियों ने उस पर चाकू से हमला कर दिया। जब मैं मौके पर पहुंचा तो लल्ला अपने साथियों के साथ चाकू से भाई राम मोहन को गोद रहा था, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
गोहद थाने ने अपर सत्र न्यायालय गोहद में चालान पेश किया। 23 जुलाई 2002 को अपर सत्र न्यायालय ने लल्ला को हत्या के मामले में आजीवन कारावास और धारा 324 में दो साल की सजा सुनाई। इसके बाद उसे जेल भेज दिया गया। लल्ला ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी।
हाई कोर्ट में अपील सुनवाई पर आई, लेकिन फाइनल बहस नहीं हो सकी। 10 से अधिक पुरानी अपीलों (जिनके आरोपित जेल में थे) की सुनवाई के लिए हाई कोर्ट में विशेष बेंच का गठन किया गया है। इसमें लल्ला की अपील को भी सुना गया। लल्ला के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि मेडिकल रिपोर्ट में भिन्नता है। जिस चाकू से हत्या करना बताया जा रहा है, उस चाकू में एक तरफ से धार है, जबकि शरीर पर चाकू के जो निशान थे, उसमें दोनों ओर धार थी। केस के जांच अधिकारी ने भी स्वीकार किया कि दूर से घटना को देखना मुमकिन नहीं है।
हाई कोर्ट ने इस तथ्य को स्वीकारते हुए उसे हत्या में दोषमुक्त कर दिया, लेकिन धारा 324 में दोषी मानते हुए दो साल की सजा बरकरार रखी। कोर्ट ने कहा कि आरोपित ने 13 साल की जेल काट ली है। उसे सजा दो साल की सुनाई गई है। इसलिए उसे रिहा किया जाए।
मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं
मुकेश गुप्ता, अभिभाषक, हाई कोर्ट, खंडपीठ ग्वालियर ने कहा कि इस तरह के मामलों में कोर्ट ही फैसला करते समय ज्यादा सजा काटने पर मुआवजे का कोई आदेश दे सकती है। मुआवजे का अलग से प्रावधान नहीं है।