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    राजद्रोह कानून: हर सरकार और हर राज्य ने दर्ज किए मामले, आजादी के बाद के कुछ चर्चित केस

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Thu, 12 May 2022 12:45 PM (IST)

    Supreme Court on Sedition Law 2016 और 2019 के बीच देशद्रोह के मामलों की संख्या में 160 प्रतिशत (9 मामले) की वृद्धि हुई। 2019 में सजा की दर 0.0 फीसदी थी। 9 में से सिर्फ दो आरोपियों को दोषी ठहराया गया था।

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    नई दिल्ली से नेशनल डेस्क की रिपोर्ट:

    नई दिल्ली, नेशनल डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजद्रोह कानून के तहत केस दर्ज करने पर रोक लगा दी है। राजद्रोह कानून के दायरे में आने वाले चर्चित मामले कौन-कौन से हैैं? इस आदेश का विचाराधीन मामलों पर क्या असर पड़ेगा? और किन-किन राज्यों में कितने केस दर्ज हैं?  

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    पांच साल में 326 मामले दर्ज

    केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2014 और 2019 के बीच राजद्रोह कानून के तहत कुल 326 मामले दर्ज किए गए। इनमें सबसे ज्यादा असम में 54 मामले दर्ज किए गए। अधिकारियों ने बताया कि दर्ज मामलों में से 141 मामलों में आरोप-पत्र दाखिल किए गए, जबकि छह साल की अवधि में केवल छह लोगों को अपराध के लिए दोषी करार दिया गया। असम में, दर्ज किए गए 54 राजद्रोह मामलों में से 26 मामलों में आरोप-पत्र दायर किए गए और 25 मामलों में परीक्षण पूरा हो गया।

    10 साल का लेखा-जोखा

    1,06 केस दर्ज है

    2010 से 2020 के बीच

    (एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार)

    आजादी से पहले राजद्रोह कानून के दायरे में कुछ चर्चित केस

    • 1891: अंग्रेजों ने बंगबासी अखबार के संपादक जोगेंद्र चंद्र बोस के खिलाफ पहला मामला दर्ज किया था। उन्होंने एज आफ कांस्टेंट बिल का विरोध किया था।
    • 1908: बालगंगाधर तिलक ने चापेकर बंधुओं को फांसी की सजा देने पर अंग्रेज सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए निंदा की थी।
    • 1921-22: स्वर्ण मंदिर के मामलों में अंग्रेजों के बढ़ते हस्तक्षेप के खिलाफ राजनेता और धार्मिक संगठन के प्रमुख मास्टर तारा सिंह के भाषण को राजद्रोह माना गया था।
    • 1922: यंग इंडिया नामक अखबार में लिखे गए एक लेख को आधार बनाकर महात्मा गांधी पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था।

    आजादी के बाद के कुछ चर्चित मामले:

    छत्तीसगढ़

    विनायक सेन: नक्सलियों की मदद करने के आरोप में 2007 में शिशु रोग विशेषज्ञ डा. विनायक सेन के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। जिला कोर्ट द्वारा सजा सुनाई गई। 2011 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में मामला लंबित है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में अब तक आइपीएस जीपी सिंह सहित चार लोगों पर मामला दर्ज किया गया था। जीपी सिंह वर्तमान में जेल में है, जबकि शिक्षिका सोनी सूरी बरी हो चुकी हैैं।

    दिल्ली

    कन्हैया कुमार: जेएनयू के छात्र नेता रहे कन्हैया कुमार के खिलाफ भारत विरोधी नारे लगाने पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था।

    अरुंधुती रायः देश विरोधी भाषण देने के आरोप में वर्ष 2010 में अरुंधुती राय, हुर्रियत नेता सैय्यद गिलानी सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था।

    कर्नाटक

    किसान आंदोलन के दौरान टूल किट शेयर करने और नफरत फैलाने के आऱोप में सामाजिक कार्यकर्ता रवि दिशा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। काफी मशग्रेटा थनबर्ग से जुड़ी होने की वजह से मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उछला था।

    गुजरात

    हार्दिक पटेल: पटेल आरक्षण आंदोलन के दौरान हार्दिक पटेल सहित पांच लोगों के खिलाफ राजद्रोह कानून के तहत केस दर्ज है।

    प्रवीण तोगडिय़ा: वर्ष 2003 में राज्य सरकार के खिलाफ भाषण देने पर राजस्थान सरकार ने विहिप नेता प्रवीण तोगडिय़ा के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया था।

    महाराष्ट्र

    राणा दंपतीः राज्य सरकार के खिलाफ विरोध करने और मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा पाठ करने को लेकर विवादों में घिरी सांसद नवनीत राणा व विधायक पति रवि राणा के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में इसी धारा के तहत केस दर्ज किया।

    असीम त्रिवेदी: संसद भवन और राष्टध्वज पर कार्टुन बनाने के मामले में कार्टुनिस्ट असीम त्रिवेदी के खिलाफ वर्ष 2012 में दर्ज हुआ था।

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