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    अब नहीं बचेंगे नक्सली, 'लाल कहर' पर सुरक्षा बलों का कड़ा प्रहार

    By Lalit RaiEdited By:
    Updated: Wed, 17 May 2017 05:24 PM (IST)

    सुकमा में नक्सलियों के हमले के बाद गृहमंत्री ने साफ कर दिया था कि सुरक्षाकर्मियों की शहादत को बेकार नहीं जाने देंगे।

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    अब नहीं बचेंगे नक्सली, 'लाल कहर' पर सुरक्षा बलों का कड़ा प्रहार

    नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] ।  वामपंथी उग्रवाद को अब बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस तरह के बयान सरकार की तरफ से पहले भी आते रहते थे। लेकिन 24 अप्रैल 2017 को खड़ी दोपहरी में बुरकापाल में नक्सलियों ने हैवानियत का वो खेल खेला जिसमें सीआरपीएफ के 25 जवानों के परिवार उजड़ गए। देश में गुस्सा था और सरकार पर दबाव। गुस्सा, दबाव और जवानों के परिवारों के रुदन के बीच गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब वामपंथी उग्रवादियों की हिंसा बर्दाश्त नहीं करेंगे। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में उन्होंने कहा कि आठ मई 2017 को नक्सलियों से निपटने के लिए एक समग्र चर्चा करेंगे। 

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    17 मई 2017

    नक्सलियों के खिलाफ अब तक के सबसे बड़े अभियान(96 घंटे का अभियान) में सुकमा में सुरक्षाबलों ने 20 आतंकियों को मार गिराया। नक्सलियों के खिलाफ इस अभियान में कोबरा बटालियन, एसटीएफ और डीआरजी के 350 जवानों ने हिस्सा लिया। नक्सलियों  के खिलाफ कार्रवाई में मणकम केशा, ताती कोसा, कुंजाम बिचोम, रवा देवा माडवी देवा और ओयम हडवा को गिरफ्तार किया गया है। 

    8 मई 2017

    गृहमंत्री ने नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई जिसमें नक्सलियों से निपटने की रणनीति पर चर्चा की गई। 

    24 अप्रैल 2017

    सुकमा के बुरकापाल में सीआरपीएफ के 25 जवान हुए शहीद हुए थे। सीआरपीएफ के जवानों पर नक्सलियों पर उस वक्त हमला किया था जब वे दोपहर का भोजन करने के बाद आराम कर रहे थे। शहीद जवान रोड ओपनिंग पार्टी के हिस्सा थे। 

     नक्सलियों के खिलाफ अभियान की पूरी कहानी

    सुकमा में सीआरपीएफ के जवानों की शहादत का बदला ले लिया गया है। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में रविवार से मंगलवार तक चले नक्सल रोधी अभियान में 20 नक्सलियों के मारे जाने का दावा सुरक्षा अधिकारियों ने किया है। कोबरा बटालियन, एसटीएफ और डीआरजी के संयुक्त अभियान में इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया।


    सीआरपीएफ का कहना है कि बीजापुर जिले के बासागुड़ा थाना क्षेत्र के रायगुंडम के जंगलों में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच कई बार मुठभेड़ हुई। इस संबंध में एक वीडियो भी सामने आया है। इसे उस अभियान के दौरान फिल्माया गया, जो सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन ने नक्सलियों के खिलाफ छेड़ा है। 

    जानकार की राय

    सुकमा में नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई पर यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने जागरण.कॉंम से खास बातचीत की। उन्होंने कहा कि अगर ये एनकाउंटर सही लोगों का किया गया है तो वो स्वागतयोग्य है। उम्मीद है कि इतनी बड़ी कार्रवाई प्रतिशोध की भावना से नहीं हुई होगी, बल्कि पुख्ता जानकारी और सही गुनहगारों के खिलाफ हुई होगी। विक्रम सिंह ने कहा कि अब समय आ गया है जब परिपक्व नेतृत्व में समाज और देश के गुनहगारों के खिलाफ निर्णायक अभियान चलाया जाए। 

    बड़ी संख्या में मारे गए नक्सली

    सीआरपीएफ के आईजी ने कहा कि मौके पर गिरे खून और लाशों को घसीटे जाने के साक्ष्यों के आधार पर नक्सलियों के इतनी संख्या में मारे जाने का दावा किया जा रहा है। 

    100-150 नक्सली सक्रिय

    बीजापुर के पुलिस अधीक्षक  ने बताया कि सीआरपीएफ, डीआरजी, जिला पुलिस बल और कोबला बटालियन के जवान एक साथ अभियान के लिए निकले थे। तीन दिनों से इलाके में अभियान चलाया जा रहा था। सुरक्षा बलों को खुफिया जानकारी मिली थी कि रायगुंडम के जंगलों में 100-150 की संख्या में नक्सली सक्रिय हैं।

    शव लेकर भागे नक्सली

    मुठभेड़ के दौरान नक्सली अपने साथियों के शव साथ ले गए। ऐसा पहली बार नहीं है, इससे पहले भी जितनी भी बार मुठभेड़ हुई। नक्सली अपने साथियों के शव को लेकर जंगलों में भाग जाते थे। 

    2009 में गठित हुई थी कोबरा कमांडो

    वर्ष 2009 में कोबरा कमांडो का गठन किया गया था। भारत की आठ स्‍पेशलाइज फोर्सेज में से एक कोबरा कमांडो को नक्‍सली इलाकों में इनका सफाया करने के लिए ही गठित किया गया था। इस कोबरा कमांडो में सीआरपीएफ के बेहतरीन जवानों को शामिल किया जाता है। कोबरा (CoBRA) का अर्थ है कमांडो बटालियन फॉर रिसॉल्‍यूट एक्‍शन (Commando Battalion for Resolute Action)। इस कमांडो फोर्स के गठन के पीछे मकसद नक्‍सलियों के हमले में मारे गए जवान ही बने थे। लिहाजा गृह मंत्रालय ने इनके गठन को मंजूरी देते हुए दस ऐसी बटालियन बनाने को कहा था। इस आदेश के बाद वर्ष 2008-09 में इसकी दो, वर्ष 2009-10 में चार और 2010-11 में फिर चार बटालियन तैयार की गईं।

    विपरीत परिस्थितियों के लिए बिल्‍कुल फिट

    नक्‍स‍ली इलाकों में होने वाले गौरिल्‍ला युद्ध को देखते हुए इन कमांडो को जबरदस्‍त ट्रेनिंग से गुजरना होता है। ट्रेनिंग के दौरान न सिर्फ इनकी शारीरिक कुशलता को आंका जाता है बल्कि मानसिक तौर पर भी इन्‍हें कड़ी परीक्षा से गुजरना होता है। ट्रेनिंग में इन्‍हें गौरिल्‍ला युद्ध, फील्‍ड इजींनियरिंग, जमीन के नीचे मौजूद बमों को पहचानने और उन्‍हें निष्‍कर्य करने, जंगल में भूखे प्‍यासे होने की सूरत में वहां की चीजों से पेट भरने और अपने को हर हाल में युद्ध के लिए तैयार रखने की ट्रेनिंग दी जाती है।

    जंगल वारफेयर की कड़ी ट्रेनिंग

    जंगल वारफेयर के नाम से दी जाने वाली इस ट्रेनिंग को पार करना इनके लिए बड़ी चुनौती होती है। इसके अलावा इस बटालियन से जुड़े हर कमांडो को समय आने पर टीम को लीड करने के साथ जीपीएस डिवाइस का इस्‍तेमाल करते हुए और सभी की सुरक्षा को ध्‍यान में रखते हुए आगे बढ़ने, सामने आने वाली इंटेलिजेंस रिपोर्ट के आधार पर अपनी तैयारी करने, जंगल में रहते हुए नक्‍शे की मदद से नक्‍सली इलाकों का पता लगाने जैसी अहम ट्रेनिंग भी दी जाती है। कड़ी ट्रेनिंग से गुजरने से गुजरने के बाद भी नक्‍सली इलाकों में होने वाले ऑपरेशन से पहले इसकी तैयारी के तहत एक डमी ऑपरेशन को अंजाम दिया जाता है। इनके लिए खासतौर पर कोबरा स्‍कूल ऑफ जंगल वारफेयर एंड टेक्टिस भी बनाया गया है।

    रोटी नहीं तो सांप ही खाते हैं कोबरा कमांडो

    कोबरा कमांडो के लिए नक्‍सली इलाके कहीं से भी नए नहीं हैं। जब-जब कोबरा कमांडो की इन इलाकों में तैनाती की गई है तब-तब नक्‍सलियों की शामत आई है। जंगल में एंट्री के साथ ही कोबरा कमांडो का ऑपरेशन शुरू हो जाता है। इसके बाद रोटी नहीं भी मिलती है तो इनके लिए यहां पाए जाने वाले सांप ही इनका भोजन होता है। इसके अलावा कुछ खास पेड़ों के पत्‍ते और इनसे मिलने वाले फलों पर गुजारा कर यह अपने ऑपरेशन को अंजाम देते हैं।

    मिल चुके हैं 9 गैलेंट्री अवार्ड

    कोबरा कमांडो के हाथों 61 नक्‍सली अब तक ढेर किए जा चुके हैं, जबकि 866 को पकड़ा गया है। इनके रहते कई बार नक्‍सली इलाकों से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारुद बरामद किया गया है। अपने सफल ऑपरेशन की बदौलत यह बटालियन अब तक 9 गैलेंट्री अवार्ड और दो शौर्य चक्र तक पा चुकी है।

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