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    कई जगह से वेतन ले रही थी सेबी प्रमुख, कांग्रेस का बड़ा आरोप; बर्खास्त करने की उठी मांग

    Updated: Mon, 02 Sep 2024 11:45 PM (IST)

    कांग्रेस ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर विवादों में घिरी सेबी प्रमुख माधवी बुच पर दो जगह से वेतन लेने का आरोप लगाते हुए उनको तत्काल बर्खास्त करने की एक बार फिर मांग उठाई है। पार्टी ने दावा किया है कि बुच ने सेबी से वेतन लेने के साथ ही आइसीआइसी बैंक से भी वेतन लिया और अब भी इस निजी बैंक से वे इ-एसओएपी समेत दोहरा लाभ ले रही हैं।

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    कई जगह से वेतन ले रही थी सेबी प्रमुख (File photo

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर विवादों में घिरी सेबी प्रमुख माधवी बुच पर दो जगह से वेतन लेने का आरोप लगाते हुए उनको तत्काल बर्खास्त करने की एक बार फिर मांग उठाई है। पार्टी ने दावा किया है कि बुच ने सेबी से वेतन लेने के साथ ही आइसीआइसी बैंक से भी वेतन लिया और अब भी इस निजी बैंक से वे इ-एसओएपी समेत दोहरा लाभ ले रही हैं।

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    कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने सेबी प्रमुख के खिलाफ इस नए खुलासे का दावा करते हुए कहा कि चार साल में बुच ने आइसीआइसी से 16.80 करोड़ रुपए वेतन व लाभ लिया जबकि इसी दौरान सेबी से उन्होंने 3.30 करोड़ से अधिक का वेतन मिला।

    सरकार से मांगा स्पष्टीकरण

    पार्टी ने साथ ही कैबिनेट की नियुक्ति समिति की ओर से बुच की सेबी में नियुक्ति और उसकी शर्तों को लेकर सरकार से स्पष्टीकरण भी मांगा है। सेबी प्रमुख से जुड़े विवाद पर प्रेस कांफ्रेंस करते हुए पवन खेड़ा ने हितों के टकराव के साथ ही बुच पर गंभीर अनियमितता का आरोप लगाते हुए कहा कि सेबी को देश के मध्यम वर्ग की मेहनत की कमाई की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया है पर सेबी प्रमुख ने लोगों को धोखा दिया है।

    सेबी और बैंक के दस्तावेजों के साथ टीडीएस कटौती के दस्तावेजों का हवाला देते हुए उन्होंने दावा किया कि 2017-2021 के दौरान सेबी की पूर्णकालिक सदस्य के रूप में बुच को आइसीआइसीआइ बैंक से 12.63 करोड़ रुपए का वेतन लिया जो सेबी (कर्मचारी सेवा) नियमन 2001 की धारा 54 का साफ उल्लंघन है।

    इसी दौरान आइसीआइसीआई प्रूडेंशियल से 22.41 लाख रुपए की आमदनी हासिल की तो 2021-2023 के बीच आइसीआइसीआइ बैंक से 2.84 करोड़ रुपए की ईएसओपी उन्हें मिली जो आइसीआइसीआई कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना की धारा का उल्लंघन है।

    खेड़ा ने कहा कि बुच के टीडीएस का भुगतान भी आइसीआइसीआई ने किया और चार सालों में निजी बैंक से सेबी प्रमुख को कुल 16,80,22,143 रुपए मिला जो इसी अवधि में सेबी से प्राप्त कुल वेतन 3,30,28,246 रुपए से पांच गुना ज्यादा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ताजा खुलासे को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने 10 वर्षों से अपने चंद पूंजीपति मित्रों की मदद के लिए संस्थानों की स्वायत्तता व स्वतंत्रता को कुचलने की भरपूर कोशिश की है।

    सीबीआई, इडी, रिजर्व बैंक, चुनाव आयोग के बाद अब हम सेबी में भी यही झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सेबी की पहली लेटरल इंट्री चेयरपर्सन की बिना किसी तफ्तीश के नियुक्ति से सेबी की साख पर बदनुमा धब्बा लग गया है और इससे पूंजी बाजार रेगुलेटर सेबी पर भरोसा कम होगा। खरगे ने बुच से जुड़़े ताजा खुलासे का सुप्रीम कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने की जरूरत बताते हुए उन्हें तत्काल बर्खास्त कर अदाणी मामले की जेपीसी जांच की मांग दोहराई। वहीं कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने सवाल उठाते पूछा कि क्या प्रधानमंत्री को बुच के दोहरे वेतन का लाभ उठाने की जानकारी थी और गंभीर आरोपों से घिरे होने के बावजूद आखिर सेबी प्रमुख को कौन और क्यों बचा रहा है।