समुद्र स्तर में बढ़ोतरी चेन्नई, कोलकाता जैसे महानगरों के लिए खतरा, फ्रांस की यूनिवर्सिटी में हुआ अध्ययन
जर्नल नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित इस अध्ययन में दर्शाया गया है कि आंतरिक जलवायु परिवर्तनशीलता सिर्फ जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाली वृद्धि की अपेक्षा कुछ स्थानों पर समुद्र स्तर में 20-30 प्रतिशत ज्यादा वृद्धि कर सकती है। (फाइल फोटो)
नई दिल्ली, एजेंसी। एक नए अध्ययन के मुताबिक इस सदी में समुद्र स्तर में बढ़ोतरी चेन्नई और कोलकाता समेत कुछ एशियाई महानगरों और पश्चिमी उष्णकटिबंधीय प्रशांत द्वीप समूह व पश्चिमी ¨हद महासागर को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती है।
फ्रांस की यूनिवर्सिटी में हुआ अध्ययन
फ्रांसीसी नेशनल सेंटर फार साइंटिफिक रिसर्च (CNRS) और फ्रांस की ही यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ रोशेल के विज्ञानियों के नेतृत्व में हुए अध्ययन में जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र स्तर में अनुमानित वृद्धि के प्राकृतिक उतार-चढ़ाव के प्रभावों को देखा गया।
टीम ने ऐसे कई एशियाई महानगरों की पहचान की जो वर्ष 2100 तक बड़े खतरे की जद में होंगे, अगर समाज ने ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन उच्च स्तर पर जारी रखा। इन महानगरों में चेन्नई, कोलकाता, यंगून, बैंकाक, हो ची मिन्ह सिटी और मनीला शामिल हैं।
जर्नल नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित इस अध्ययन में दर्शाया गया है कि आंतरिक जलवायु परिवर्तनशीलता सिर्फ जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाली वृद्धि की अपेक्षा कुछ स्थानों पर समुद्र स्तर में 20-30 प्रतिशत ज्यादा वृद्धि कर सकती है, जिससे अत्यधिक बाढ़ की घटनाओं में तेजी से वृद्धि होगी।
96 गुना अधिक हो सकती हैं अत्यधिक बाढ़ की घटनाएं
उदाहरण के लिए मनीला में तटीय बाढ़ की घटनाएं 2006 की तुलना में 2100 तक 18 गुना अधिक होने की भविष्यवाणी की गई है जो पूरी तरह से जलवायु परिवर्तन पर आधारित है। लेकिन जलवायु परिवर्तन और आंतरिक जलवायु परिवर्तनशीलता दोनों के मिलने से स्थिति बहुत खराब हो सकती है और अत्यधिक बाढ़ की घटनाएं 96 गुना अधिक हो सकती हैं।