बिना अंडाणु-शुक्राणु पैदा होगा जीवन, शुरुआती गर्भपात से भी मिलेगी निजात
दो अलग-अलग प्रकार के स्टेम कोशिकाओं को जोड़ने पर तैयार हुए प्रारंभिक भ्रूण के विकास को जीवन तैयार करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। अंडाणु या शुक्राणु के बिना जीवन गढ़ने की ओर वैज्ञानिकों ने एक और कदम बढ़ा दिया है। जाने-माने जर्नल नेचर में प्रकाशित डच वैज्ञानिक मास्ट्रिच विश्वविद्यालय के प्रोफेसर निकोलस रिवरॉन की ताजा शोध में यह बात सामने आई है कि स्टेम कोशिकाओं से अगले दस साल में इंसानी भ्रूण भी पैदा किया जा सकता है। दो अलग-अलग प्रकार के स्टेम कोशिकाओं को जोड़ने पर तैयार हुए प्रारंभिक भ्रूण के विकास को जीवन तैयार करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
अहम होगी सफलता
गर्भ में ठीक से भ्रूण प्रत्यारोपण न हो पाना बांझपन का सबसे बड़ा कारण है। ऐसे में इस तकनीक से बनने वाले असीमित भ्रूणों से चिकित्सा अनुसंधान की दिशा में काफी फायदा मिलेगा। गर्भावस्था के शुरुआती चरण में अविकसित रह गए भ्रूण की जटिलता दूर करने में मदद मिलेगी। गर्भ के मुकाबले स्टेम सेल प्रक्रिया से भ्रूण ज्यादा तेजी से विकसित होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रयोग सफल रहा तो यह मानव प्रजनन क्षमता में भी काफी मदद कर सकता है।
शुरुआती गर्भपात से निजात
शोध में बताया गया है कि अधिकांश मामलों में महिलाओं का शुरुआती गर्भपात डॉक्टरों के लिए अबूझ पहेली होता है। ऐसे में यह तकनीक बहुत कारगर साबित होगी।
इंसानी जीवन की ओर
शोधकर्ताओं का कहना है कि चूहों में किया गया शुरुआती प्रयोग सफल रहा है। वे तीन साल में शुक्राणु या अंडे के बिना चूहा बना लेंगे। एक दशक तक वे इंसानी जीवन रचने में भी सफल होंगे। हालांकि प्रोफेसर निकोलस मानव वंशवृद्धि के लिए इस तकनीक के इस्तेमाल के खिलाफ हैं।
ऐसे काम करती है यह तकनीक
वैज्ञानिकों ने चूहों से दो अलग-अलग प्रकार के स्टेम कोशिकाओं को मिलाकर भ्रूण की तरह संरचनाएं (ब्लास्टोसाइट्स) बनाईं। जिसे उन्होंने चूहों में प्रत्यारोपित किया। इस तरह के भ्रूण में (3.5 दिनों तक) सामान्य गर्भ की तुलना में तेजी से विकास दिखा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।