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    सावधान! नहीं चेते तो बिगड़ेंगे हालात, भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों में प्राणघातक लू हो जाएगी आम बात

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Fri, 26 Mar 2021 12:09 AM (IST)

    मौजूदा वक्‍त में ग्‍लोबल वर्मिंग का असर दुनियाभर में देखने को मिल रहा है। धरती का पढ़ता तापमान आने वाले बड़े खतरे का संकेत दे रहा है। वैज्ञानिकों की मानें तो आने वाले दिनों में भारत पर इसकी तगड़ी मार पड़ेगी।

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    आने वाले दिनों में भारत पर ग्‍लोबल वर्मिंग की तगड़ी मार पड़ेगी।

    नई दिल्ली, पीटीआइ। मौजूदा वक्‍त में ग्‍लोबल वर्मिंग का असर दुनियाभर में देखने को मिल रहा है। धरती का पढ़ता तापमान आने वाले बड़े खतरे का संकेत दे रहा है। वैज्ञानिकों की मानें तो आने वाले दिनों में भारत पर इसकी तगड़ी मार पड़ेगी। अमेरिका की ओक रिज नेशनल लेबोरेटरी समेत विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया है कि यदि वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर ही सीमित कर दें तो भी भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों में प्राणघातक लू का प्रकोप आम होगा।

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    वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले वक्‍त में भीषण गर्मी की वजह से भारत के खाद्यान्न उत्पादन करने वाले बड़े क्षेत्र में काम करने की स्थिति असुरक्षित हो सकती है जिसका असर घातक होगा। खासकर उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल और तटीय इलाकों में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कोलकाता, मुंबई और हैदराबाद जैसे शहरों में भी हालात खराब होंगे। यह अध्‍ययन जर्नल जियोफिजिक्स रिसर्च लेटर में प्रकाशित हुआ है। इसके मुताबिक दो डिग्री तापमान बढ़ने से इसका सामना करने वाली आबादी सीधी तौर पर प्रभावित होगी। यह खतरा मौजूदा वक्‍त की तुलना में तीन गुना ज्‍यादा होगा।

    अध्‍ययन के सह लेखक मोइतसिम अशफाक कहते हैं कि दक्षिण एशिया का भविष्य मुश्किल भरा दिख रहा है। आने वाले इस संकट से बचाव केवल तापमान वृद्धि पर नियंत्रण करके ही पाया जा सकता है। मोइतसिम अशफाक ओक रिज नेशनल लेबोरेटरी में कार्यरत हैं। उन्‍होंने कहा कि तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दक्षिण एशिया पर गंभीर असर डालेगी। इस संकट से बचने के लिए दक्षिण एशिया को आज ही कदम उठाने की दरकार है। मौजूदा ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को तेजी से कम करने की जरूरत है। इसके अलावा अब कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है।  

    दरअसल वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे थे कि वैश्विक तापमान में 1.5 से दो डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी से दक्षिण एशिया में कितने लोगों पर लू के थपेड़ों का असर होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले वक्‍त में इस इलाके के लोगों को वेट बल्ब टेम्प्रेचर का सामना करना पड़ेगा। बता दें कि 32 डिग्री वेट बल्ब टेम्प्रेचर को असुरक्षित माना जाता है। इसके 35 डिग्री होने पर इंसान का शरीर खुद को ठंडा नहीं रख पाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान में दो डिग्री सेल्सियस का इजाफा काम करने के लिए असुरक्षित होगा जिससे प्रभावित होने वालों की संख्या दो गुनी होगी...